प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 के लिए आवेदन शुरू

Jitendra Kumar Sinha
0



देश की भविष्यवाणी उसकी युवा पीढ़ी से होती है और जब वह पीढ़ी असाधारण प्रतिभा, साहस या योगदान दिखाए, तो उसे सम्मानित करना न केवल उनका मनोबल बढ़ाता है, बल्कि समाज के अन्य बच्चों को भी प्रेरित करता है। भारत सरकार की यही सोच प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) के माध्यम से सामने आती है, जो 5 से 18 वर्ष के बीच के उन बच्चों को दिया जाता है, जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया हो।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गया है। इच्छुक अभ्यर्थी या उनके माता-पिता, शिक्षक, संस्था प्रमुख अथवा स्कूल की ओर से 31 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन awards.gov.in पर जाकर किया जा सकता है।

आवेदन करने के लिए आवेदक की उम्र 5 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से कम होनी चाहिए (31 जुलाई 2025 तक)। आवेदनकर्ता की किसी क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि होनी चाहिए। उपलब्धियों को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज, चित्र, वीडियो आदि अपलोड करने होंगे और स्कूल या संस्था की सिफारिश भी मान्य है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार साहसिक कार्य (Bravery), शैक्षणिक उत्कृष्टता (Academic Excellence), कला और संस्कृति (Art and Culture), खेल (Sports), नवाचार (Innovation) और सामाजिक सेवा (Social Service) के लिए दिया जाता है।  यह पुरस्कार देश के उन बच्चों के लिए है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी असाधारण साहस दिखाया है, अपनी प्रतिभा से कोई आविष्कार किया हो, समाज सेवा में अग्रणी रहे हों या किसी भी क्षेत्र में प्रेरणादायी प्रदर्शन किया हो।

पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों को केवल एक ट्रॉफी या प्रमाणपत्र ही नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच मिलता है जहां से उनकी उपलब्धियां देशभर में प्रसिद्ध होती हैं। पुरस्कार 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। सम्मानस्वरूप मेडल और प्रमाणपत्र। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों को साझा करने का मौका। कुछ मामलों में पुरस्कार के साथ प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 में की गई थी। यह दिन खासतौर पर सिख गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों की शहादत की स्मृति में समर्पित है। इस दिन को बच्चों की वीरता, बलिदान और योगदान को सम्मानित करने के रूप में चुना गया है, ताकि देश की युवा पीढ़ी अपने इतिहास से प्रेरणा ले सके।

हर साल देश के विभिन्न कोनों से बच्चों को इस सम्मान के लिए चुना जाता है। विगत वर्ष बिहार की आर्या झा को जिन्होंने 12 वर्ष की उम्र में विज्ञान में नवाचार कर पर्यावरण-संरक्षण से जुड़ा उपकरण बनाया। था। मणिपुर के सुरज सिंह को जिन्होंने एक जलते घर में कूदकर अपने छोटे भाई की जान बचाया था। राजस्थान की सना फिरदौस को जिन्होंने कोविड के दौरान गरीबों को मास्क और भोजन पहुंचाया था।




एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top