अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की आज होने वाली बैठक में पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी मिलने की संभावना है। हालांकि, भारत ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई है, यह दावा करते हुए कि यह सहायता पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे सकती है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "पाकिस्तान को बेलआउट देने वाले देशों को स्पष्ट रूप से देखना चाहिए कि उनका पैसा कहां जा रहा है।" उन्होंने यह भी बताया कि IMF के 24 में से कई बेलआउट पैकेज सफल नहीं रहे हैं।
भारत का यह रुख हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है।
IMF ने पाकिस्तान के साथ 1.3 अरब डॉलर के नए जलवायु लचीलापन ऋण कार्यक्रम पर भी सहमति जताई है, जो 28 महीनों में वितरित किया जाएगा। इसके अलावा, 7 अरब डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम के तहत 1 अरब डॉलर की राशि भी जारी की जाएगी।
भारत ने IMF से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की समीक्षा करने का अनुरोध किया है, यह तर्क देते हुए कि ये धनराशि पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया गतिविधियों, विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों को समर्थन देने में उपयोग हो सकती है।
IMF ने पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों का समर्थन किया है, लेकिन भारत की आपत्तियों ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। IMF की आज की बैठक में यह देखा जाएगा कि क्या पाकिस्तान को यह बेलआउट पैकेज मिलेगा या नहीं।
यह स्थिति भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है।