भारतीय सेना को 40,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीद की मंजूरी

Jitendra Kumar Sinha
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भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना की युद्धक तैयारियों को मजबूत करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। इस निर्णय से भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना को निगरानी ड्रोन, आत्मघाती (कामीकाजे) ड्रोन, लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार, तोप, मिसाइल और हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए गोला-बारूद जैसे आवश्यक उपकरणों की शीघ्र खरीद में सहायता मिलेगी।


आपातकालीन खरीद की प्रक्रिया और उद्देश्य

डिफेंस अक्विजिशन काउंसिल की हालिया बैठक में इस आपातकालीन खरीद को मंजूरी दी गई, जिसमें रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इस प्रक्रिया के तहत सेनाएं आवश्यक उपकरणों की खरीद में पारंपरिक लंबी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर, त्वरित निर्णय ले सकेंगी। इससे पहले भी पिछले पांच वर्षों में पांच बार ऐसी आपातकालीन खरीद की मंजूरी दी जा चुकी है।


रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

इस पहल के तहत, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को ड्रोन डिटेक्शन के लिए 10 नए लो-लेवल रडार का ऑर्डर मिलने की संभावना है। इससे पहले 6 रडारों के लिए ऑर्डर पहले ही दिया जा चुका है। इसके अलावा, भारतीय ड्रोन निर्माण कंपनियों को भी तीनों सेनाओं से बड़े ऑर्डर मिलने की उम्मीद है, जिससे रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। 


ऑपरेशन सिंदूर और भविष्य की रणनीति

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत वर्तमान में जो विराम है, वह केवल एक 'रणनीतिक ठहराव' है, न कि स्थायी युद्धविराम। यदि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को रोकने में विफल रहता है, तो भारत अपनी सैन्य कार्रवाई को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है।



प्रमुख बिंदु:

  • सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन रक्षा खरीद को मंजूरी दी।

  • सेनाएं निगरानी ड्रोन, आत्मघाती ड्रोन, लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार, तोप, मिसाइल और हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए गोला-बारूद खरीद सकेंगी। 

  • यह निर्णय ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना की युद्धक तैयारियों को मजबूत करने के लिए लिया गया है।

  • रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कंपनियों को ऑर्डर मिलने की संभावना है।

  • सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर का वर्तमान ठहराव केवल एक 'रणनीतिक ठहराव' है।

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