वाशिंगटन, 17 मई 2025 — अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करके एक संभावित परमाणु युद्ध को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फॉक्स न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा, "यह मेरी सबसे बड़ी सफलता थी, जिसके लिए मुझे कभी भी पूरा श्रेय नहीं मिलेगा।"
'एन-वर्ड' का उल्लेख और विवाद
साक्षात्कार के दौरान ट्रंप ने कहा, "स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि अगला कदम 'एन-वर्ड' हो सकता था।" जब उनसे पूछा गया कि 'एन-वर्ड' से उनका क्या मतलब है, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह 'न्यूक्लियर' (परमाणु) की बात कर रहे थे। इस बयान ने मीडिया और जनता के बीच व्यापक चर्चा और कुछ हद तक भ्रम भी पैदा किया।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में सीमित थी और किसी भी परमाणु विकल्प पर विचार नहीं किया गया था। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हमारी सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में थी।"
सीमा पर तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
पिछले महीने, कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी सैन्य कार्रवाई की, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। हालांकि, 10 मई को दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ पूर्ण संघर्षविराम की घोषणा की।
अमेरिका की भूमिका
संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत और पाकिस्तान के नेताओं से संपर्क करके तनाव को कम करने की अपील की। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष सैन्य वार्ता के माध्यम से हुआ और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी।
डोनाल्ड ट्रंप के दावों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अमेरिका की भूमिका पर चर्चा को जन्म दिया है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी सैन्य कार्रवाई पारंपरिक थी और संघर्षविराम दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष वार्ता का परिणाम था। भविष्य में ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सभी पक्षों को जिम्मेदारी से बयान देने की आवश्यकता है।