भारत की सुरक्षा एजेंसियां और सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी विषय में कभी कोई समझौता नहीं करती है। चाहे वह सीमा पर खतरा हो या फिर आंतरिक खुफिया नेटवर्क में सेंध लगाने की आशंका। सरकार तत्काल सख्त कदम उठाती है। ताजा मामला तुर्किए की विमानन कंपनी सेलेबाई एविएशन से जुड़ा है, जिसे भारत में हवाई अड्डों पर बेहद संवेदनशील जिम्मेदारियाँ सौंपी गई थीं। लेकिन अब सरकार ने इसका सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द कर दिया है।
सेलेबाई एविएशन एक तुर्किए आधारित ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी है, जो दुनिया के कई देशों में हवाई अड्डों पर यात्रियों की सुविधाओं, ग्राउंड स्टाफ संचालन, विमान की सफाई, रैंप सर्विस, कार्गो नियंत्रण और कई अन्य सेवाएं देती है। भारत में इसने करीब 25 वर्षों के लिए ठेके हासिल किया था, जिनमें शामिल था- यात्री सेवाएं,
कार्गो संचालन, पोस्टल सेवाएं, ब्रिज संचालन, सामान्य उड़ान सेवाएं और गोदाम प्रबंधन। हवाई अड्डे पर कार्यरत स्टाफ को रनवे, एप्रन, कार्गो टर्मिनल, बोर्डिंग ब्रिज जैसे बेहद संवेदनशील स्थानों तक निर्बाध पहुंच होती है। यह क्षेत्र सैन्य प्रतिष्ठानों के बेहद निकट भी होता हैं, जिससे किसी भी सुरक्षा चूक के बड़े परिणाम हो सकता है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और अन्य एजेंसियों ने 2016 से ही सरकार को लगातार चेताया था कि तुर्किए की इस कंपनी के माध्यम से संवेदनशील सूचनाएं लीक हो सकती हैं। जिसमें प्रमुख आपत्तियाँ थीं- स्टेकहोल्डर मीटिंग्स में भागीदारी के दौरान खुफिया एजेंसियों के गोपनीय इनपुट तक पहुंच। भारत में कार्यरत भारतीय स्टाफ की रिपोर्टिंग तुर्किए मुख्यालय को होना। सुरक्षा कार्यक्रमों का पालन भारतीय मानकों के बजाय कंपनी के निजी प्रोटोकॉल पर आधारित होना।
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन कई बार कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी बयान दे चुका हैं। उन्होंने भारत की नीतियों पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के समय पाकिस्तान ने भारत में ड्रोन हमले किए जिनमें तुर्किए द्वारा दिए गए Bayraktar Akinci और Songar जैसे ड्रोन्स का उपयोग हुआ है। पाकिस्तान को तुर्किए ने न केवल ड्रोन दिए, बल्कि तकनीकी सहायता भी भेजी।
सेलेबाई को रद्द कर देने पर अब सेलेबाई ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं नहीं दे सकेगा। कंपनी द्वारा भर्ती किए गए स्टाफ का स्वतंत्र रूप से किया गया वेरिफिकेशन मान्य नहीं होगा और अब भारत सरकार खुद वैरिफिकेशन करेगी। सेलेबाई अब भारतीय हवाई अड्डों, यात्रियों, उड़ानों और डेटा से जुड़ी कोई जानकारी अपने तुर्किए मुख्यालय नहीं भेज पाएगी। भविष्य में सभी संवेदनशील कार्यों को भारतीय या विश्वसनीय विदेशी कंपनी को सौंपा जा सकेगा।
तुर्किए की ओर से किशनगढ़ (राजस्थान) के मार्बल कारोबारियों को संदेश भेजा गया है कि “दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आत्मीयता रही है, और अब भी हमें व्यापारिक रिश्ते बनाए रखने चाहिए।” यह संदेश तब आया जब भारत ने सेलेबाई को लेकर सख्ती दिखाई थी। इस प्रकार के भावनात्मक अपीलें तुर्किए की “बैकडोर कूटनीति” मानी जा सकती हैं, जिनका मकसद भारत के भीतर व्यापारिक हित साधना है।
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के संगठनों में पश्चिमी भारत सिने कर्मचारी संघ (FWIC) और अखिल भारतीय सिने कर्मचारी संघ (AICWA) ने कलाकारों और निर्माताओं से तुर्किए और अजरबैजान में फिल्म शूटिंग बंद करने की अपील किया है। सरकार की ओर से भी अब फिल्म निर्माताओं को इन देशों में कोई समर्थन नहीं मिलेगा। कई फिल्म निर्माताओं ने स्वयं शूटिंग रोकने की घोषणा भी की है।
देश के ट्रक ऑपरेटरों ने तुर्किए और अजरबैजान से आने वाले माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोने से इनकार कर दिया है। यह एक बड़ा आर्थिक संकेत है कि भारत अब आर्थिक मोर्चे पर भी कठोर कदम उठा रहा है। व्यापारिक संगठनों की आगामी बैठक में तुर्किए और अजरबैजान से व्यापारिक रिश्ते समाप्त करने पर विचार किया जा सकता है।
2023 में तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ने “ऑपरेशन दोस्त” चलाकर महज 12 घंटे में राहत सामग्री, एनडीआरएफ की टीम, अस्पताल, बचाव दल और मशीनें भेजी थी। 2009 में इसरो ने तुर्किए के इस्तांबुल तकनीकी विश्वविद्यालय का पिको सैटेलाइट 1 लॉन्च किया था, जो 6 महीने के लिए था पर इसरो की दक्षता से 2 वर्षों तक काम करता रहा।
सेलेबाई की कंपनी के पास ऐसी पहुंच थी, जिससे वह सेना की मूवमेंट, हवाई अड्डे पर तैनात हथियारों, और उड़ानों की योजना जैसी संवेदनशील जानकारियाँ इकट्ठा कर सकती थी। हवाई अड्डों के एप्रन, रनवे, कार्गो टर्मिनल जैसे स्थानों पर कर्मचारी बेरोकटोक जाते थे। भारत में कार्यरत अधिकांश कर्मचारी भारतीय थे, लेकिन उनकी रिपोर्टिंग तुर्किए मुख्यालय को होती थी, जिससे डेटा लीक का खतरा बढ़ जाना लाजमी था।
भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे संबंध किसी भी देश से हो, यदि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का हो तो, सख्त से सख्त निर्णय लिए जाएंगे। सेलेबाई एविएशन का सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द कर, भारत ने न केवल एक संभावित खतरनाक लीक को रोका है, बल्कि एक वैश्विक संदेश भी दिया है कि भारत की सुरक्षा संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
यह फैसला केवल एक कंपनी के खिलाफ नहीं है, बल्कि भारत की सामरिक चेतना और सतर्कता का प्रतीक है। तुर्किए की आक्रामक बयानबाजी, पाकिस्तान से नजदीकी और भारत विरोधी रणनीतियों को देखते हुए यह कदम बिल्कुल उचित, समयानुकूल और दृढ़ है। यही है नया भारत—जो मित्रता निभाता है, लेकिन राष्ट्र हित के आगे किसी को नहीं रखता है।
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