हार्पी सुसाइड ड्रोन का निर्माण इजरायल ने किया - भारत सहित चीन, तुर्की, दक्षिण कोरिया देशों को बेचा

Jitendra Kumar Sinha
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वर्तमान समय में युद्ध की परिभाषा बदल रही है। अब लड़ाई केवल बंदूक और टैंकों से नहीं, बल्कि हवा में मंडराते रोबोटों से लड़ी जा रही है। ऐसे ही एक खतरनाक और आधुनिक हथियार का नाम है हार्पी सुसाइड ड्रोन, जिसे इजराइल ने विकसित किया है और भारत ने भी इसे अपनी रक्षा प्रणाली में शामिल किया है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन एक आत्मघाती ड्रोन (Loitering Munition) है, जो दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखते हुए मौके पर हमला करता है। यह एक तरह से "खोजो और नष्ट करो" तकनीक पर आधारित है, जिसमें हार्पी सुसाइड ड्रोन एक विशेष क्षेत्र में लगातार उड़ता रहता है और जैसे ही लक्ष्य दिखाई देता है, वह उस पर आत्मघाती की तरह हमला कर देता है। यह तकनीक युद्ध के मैदान में रणनीतिक बढ़त दिलाने के लिए आदर्श मानी जाती है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन में इस तरह के तमाम तकनीकी खूबियां हैं जो इसे एक खतरनाक हथियार बनाती हैं। इसकी ऑपरेशनल रेंज 1000 किलोमीटर, उड़ान अवधि 9 घंटे, स्पीड 400 किलोमीटर/घंटा, उड़ान ऊंचाई 4600 मीटर और पेलोड क्षमता 23 किलोग्राम विस्फोटक क्षमता है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन एक तरह से मिलिट्री ड्रोन और मिसाइल का संकलन रूप है। यह पहले टारगेट को ट्रैक करता है और फिर खुद को लक्ष्य पर गिराकर उसे विस्फोट कर नष्ट कर देता है। हार्पी सुसाइड ड्रोन 1000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है और 4600 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जिससे यह सीमाओं के पार भी दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकता है और कार्रवाई कर सकता है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन में EO (Electro-Optical), IR (Infrared), FLIR (Forward Looking Infrared), और कलर CCD कैमरा लगे होते हैं, जो किसी भी मौसम में और किसी भी समय में लक्ष्य की पहचान करने में पूरी तरह सक्षम होता हैं।

युद्ध की स्थितियों में हार्पी सुसाइड ड्रोन खास तौर पर दुश्मन की एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसकी Anti-Radar Homing प्रणाली दुश्मन के रडार की तरंगों को पकड़ने में सक्षम होती है और फिर उस पर सटीक हमला करती है।

भारत जैसे देश में, जहां आतंकवाद एक प्रमुख सुरक्षा चुनौती है, वहां हार्पी सुसाइड ड्रोन का उपयोग आतंकियों के लॉन्चपैड, उसके कम्युनिकेशन हब और उसके हथियार भंडार को नष्ट करने में किया जा सकता है। भारत ने इजरायल से कई हार्पी सुसाइड ड्रोन खरीदा हैं और इन्हें विभिन्न रणनीतिक ठिकानों पर तैनात भी किया गया है। इसके अतिरिक्त भारत अब इन तकनीकों को स्वदेशीकरण की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन एक सीलबंद कैनिस्टर में रहता है, जिससे इसे कहीं भी तुरंत लॉन्च किया जा सकता है। यह तेजी से हवा में पहुंचता है और कुछ ही पलों में लक्ष्य को खोजकर हमला करता है। हार्पी सुसाइड ड्रोन में 23 किलोग्राम का विस्फोटक भरा होता है, जो किसी भी रडार स्टेशन, कमांड सेंटर, या लॉन्च पैड को पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम होता है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन की खासियत है उसकी एंटी-रडार क्षमता, जिससे यह सीधे दुश्मन के रडार सिग्नल को खोजता है और उस पर हमला करता है। इससे दुश्मन की निगरानी प्रणाली ध्वस्त हो जाती है। हार्पी सुसाइड ड्रोन ऑटोमेटिक ड्रोन है, लेकिन इसमें दो-तरफा का डेटा लिंक की सुविधा होती है। ऑपरेटर सही समय (रियल टाइम) में इसे कंट्रोल कर सकता है, लक्ष्य बदल सकता है या हमला टाल सकता है।

सर्वविदित है कि किसी भी देश की सुरक्षा का सबसे मजबूत पहलू उसका एयर डिफेंस होता है। हार्पी सुसाइड ड्रोन इन्हीं प्रणालियों को सबसे पहले निशाना बनाता है, जिससे बाकी हमले आसान हो जाते हैं। हार्पी सुसाइड ड्रोन को इजरायल ने अपने अतिरिक्त चीन, तुर्की, दक्षिण कोरिया जैसे देशों को भी बेचा है। यह अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में बेहद लोकप्रिय हो चुका है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन का भारत में तैनाती के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में तत्काल निगरानी और हमला, आतंकवादी घुसपैठ पर त्वरित प्रतिक्रिया, रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा, और युद्ध की स्थिति में वायु रक्षा का नियंत्रण में फायदा मिल रहा है। हार्पी सुसाइड ड्रोन न केवल सैन्य रणनीति को आधुनिक बनाता हैं, बल्कि शत्रु की युद्धक्षमता को भी गहराई से प्रभावित करता हैं। यह मानव रहित युद्ध की ओर एक बड़ा कदम है।

हार्पी सुसाइड ड्रोन महज एक मशीन नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध की दिशा में बढ़ता हुआ एक क्रांतिकारी कदम है। इसकी आत्मघाती शक्ति, सटीकता, और तकनीकी क्षमता ने इसे ‘हवा में मंडराता मौत का दूत’ बना दिया है। भारत जैसे देश के लिए, जो कई सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है, हार्पी सुसाइड ड्रोन एक वरदान साबित हो सकता है।


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