अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर का ऋण देने के बदले 33 कठोर शर्तें लगाई हैं, जिनमें से 11 हाल ही में जोड़ी गई हैं। इन शर्तों का पालन करना पाकिस्तान के लिए अत्यंत कठिन साबित हो रहा है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और जटिल हो गई है।
IMF की नई शर्तें: आर्थिक सुधारों की चुनौती
IMF ने पाकिस्तान के सामने जो 11 नई शर्तें रखी हैं, उनमें प्रमुख हैं:
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वित्तीय वर्ष 2026 के बजट को संसद से मंजूरी दिलाना।
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बिजली और गैस की दरों में संशोधन।
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गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करना।
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कृषि आय पर कर लगाना।
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पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना।
इन शर्तों का उद्देश्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करना है।
भारत-पाक तनाव: IMF की चिंता
IMF ने चेतावनी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। IMF ने पाकिस्तान से क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने का आग्रह किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक संस्थाएं अब क्षेत्रीय शांति को आर्थिक सहायता से जोड़कर देख रही हैं।
भारत की कूटनीति: दबाव में पाकिस्तान
भारत ने IMF से पाकिस्तान को ऋण देने पर आपत्ति जताई थी, यह कहते हुए कि यह धन आतंकवाद को प्रायोजित करने में उपयोग हो सकता है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देना आतंकवाद को फंडिंग करने के समान है।
निष्कर्ष: पाकिस्तान के सामने आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियां
IMF की सख्त शर्तों और भारत के कूटनीतिक दबाव के बीच पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अत्यंत नाजुक हो गई है। इन शर्तों को पूरा करना पाकिस्तान के लिए आवश्यक है, अन्यथा उसे और अधिक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
इस स्थिति में पाकिस्तान को चाहिए कि वह आर्थिक सुधारों को प्राथमिकता दे और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रयास करे, ताकि वह IMF की शर्तों को पूरा कर सके और आर्थिक संकट से उबर सके