सिंधु जल संधि पर भारत का कड़ा रुख, पाकिस्तान की अपील खारिज

Jitendra Kumar Sinha
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भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई सिंधु जल संधि, जो दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रही है, वर्तमान में गंभीर संकट में है। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, के बाद भारत ने इस संधि को स्थगित कर दिया। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक संधि बहाल नहीं की जाएगी।


पाकिस्तान ने भारत के इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए, जल संसाधन मंत्रालय के माध्यम से भारत के जल शक्ति मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि संधि का स्थगन उसके देश में गंभीर जल संकट पैदा कर सकता है, जिससे कृषि और पेयजल आपूर्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।


भारत ने पाकिस्तान की इस अपील को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है, "खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।" विदेश मंत्रालय ने भी दोहराया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन नहीं छोड़ता, तब तक संधि बहाल नहीं की जाएगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु जल संधि का स्थगन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि उसकी कृषि और जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इस संधि पर निर्भर है। भारत के इस कदम को पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, ताकि वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए।


इस स्थिति में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाया जाता है।

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