बिहार राज्य को नीति आयोग की ओर से ग्रामीण विकास और जल संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी सौगात मिली है। भोजपुर और मुजफ्फरपुर जिलों के 92 जल निकायों का कायाकल्प अब तय हो चुका है। यह पहल नीति आयोग के "आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम" के अंतर्गत लाई जा रही है, जिसका उद्देश्य देश के पिछड़े क्षेत्रों को मूलभूत सुविधाओं से सशक्त बनाना है।
958 परियोजनाओं में से 92 सिर्फ बिहार के हिस्से में
नीति आयोग द्वारा देशभर में 1000 जल निकायों के पुनरुद्धार के लिए योजना बनाई गई, जिसमें 9 राज्यों के 23 आकांक्षी जिलों को शामिल किया गया। इनमें से 958 जल निकायों की अंतिम सूची में बिहार के भोजपुर और मुजफ्फरपुर जिलों को 92 जल निकायों की परियोजनाएं प्राप्त हुईं — भोजपुर में 47 और मुजफ्फरपुर में 45।
भोजपुर जिले के बिहिया और शाहपुर प्रखंड तथा मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी प्रखंड को इस योजना में सम्मिलित किया गया है। ये प्रखंड नीति आयोग द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर आकांक्षी क्षेत्र घोषित किए गए हैं।
2.76 करोड़ की परियोजना, कार्य आरंभ को मिली प्रशासनिक स्वीकृति
इस योजना के तहत बिहार में इन जल निकायों के कायाकल्प पर कुल 2 करोड़ 76 लाख रुपये की लागत आएगी। नीति आयोग ने इस योजना की त्वरित शुरुआत के लिए 1 करोड़ 10 लाख 40 हजार रुपये (यानी कुल राशि का 40 प्रतिशत) की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह राशि जिलों को भेजी जा रही है ताकि जमीनी स्तर पर कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।
क्या है उद्देश्य?
इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना, ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना, भूजल स्तर को स्थिर करना और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना है। साथ ही, यह परियोजना 'जल जीवन मिशन' और 'हर खेत को पानी' जैसे अभियानों के उद्देश्यों को भी मजबूती प्रदान करती है।
गाइडलाइन्स के तहत होगा क्रियान्वयन
नीति आयोग द्वारा मार्च 2025 में जारी गाइडलाइन्स के अनुसार जल निकायों की पहचान की गई और यह निर्देश दिया गया कि कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाए। जिला प्रशासन को आवश्यक समन्वय के साथ कार्यों के शीघ्र निष्पादन के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। इस पहल के तहत जल निकायों के लिए प्रति इकाई 3 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है।
बिहार के लिए क्या मायने रखती है यह योजना?
बिहार के लिए यह योजना कई दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है:
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कृषि को मिलेगा बल: जल संरक्षण से सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी जिससे खेती की उत्पादकता बढ़ेगी।
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पर्यावरण संतुलन: जल निकायों के पुनरुद्धार से जैव विविधता और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षण मिलेगा।
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रोजगार सृजन: निर्माण और मरम्मत कार्यों से ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थायी रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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भूजल स्तर में सुधार: वर्षा जल संचयन और प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण से भूजल स्तर संतुलित रहेगा।