महाराष्ट्र में इस साल मानसून ने समय से पहले दस्तक दी है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। खासतौर पर बारामती, दौंड, पुणे और मुंबई जैसे क्षेत्रों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 25 मई को ही महाराष्ट्र में प्रवेश कर लिया, जो कि सामान्य तिथि 7 जून से लगभग 12 दिन पहले है। ऐसा इतिहास में बहुत कम बार हुआ है, पिछली बार 2006 में ऐसा रिकॉर्ड दर्ज हुआ था।
25 मई को हुई मूसलधार बारिश के कारण बारामती क्षेत्र की नीरा डावा नहर टूट गई, जिससे पालखी हाईवे पर पानी भर गया और काटेवाड़ी-भवानीनगर मार्ग को बंद करना पड़ा। बारामती के लगभग 150 घरों में पानी घुस गया। पुणे जिले में औसतन 22.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई, वहीं इंदापुर और बारामती तहसीलों के कई गांवों में घरों और खेतों में जलभराव हो गया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें बारामती, इंदापुर और सोलापुर में राहत और बचाव कार्य में लगाई गई हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती का दौरा किया और स्थानीय प्रशासन को पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने भी हालात की समीक्षा की और सभी संबंधित एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया।
मुंबई, ठाणे, कल्याण और विरार जैसे शहरी क्षेत्रों में भी 26 मई की सुबह भारी बारिश हुई, जिससे उपनगरीय रेल सेवाएं प्रभावित हुईं। लोकल ट्रेनें 15 से 20 मिनट की देरी से चलीं और कुछ क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति बनी रही। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में इसी तरह की बारिश की संभावना बनी रहेगी।
इस समय की बारिश किसानों के लिए एक मिश्रित संदेश लेकर आई है। जहां समय से पहले बारिश से कुछ किसानों में उम्मीद जगी है, वहीं अत्यधिक पानी भरने से खेतों और फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी जल्दी बारिश होने से खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हो सकती है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है और लोगों से अपील की गई है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान दें, अनावश्यक यात्रा से बचें और निचले इलाकों में रहने वाले लोग सतर्क रहें। किसी भी आपदा की स्थिति में प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और खुद को सुरक्षित स्थानों पर रखें।
इस तरह की असमय बारिश ने जहां मौसम के मिज़ाज में बदलाव ला दिया है, वहीं यह चुनौती भी खड़ी कर दी है कि हम किस तरह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहले से तैयारी करें। मानसून की यह समय से पहले दस्तक एक चेतावनी है कि मौसम बदल रहा है, और इसके साथ हमें भी अपनी योजनाएं, व्यवस्थाएं और दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।