बिहार की राजनीतिक फिज़ा में एक बार फिर हलचल मचने वाली है। AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी 3 मई से बिहार में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। इस बार पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए बहादुरगंज विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। ओवैसी 3 मई को बहादुरगंज में जनसभा को संबोधित करेंगे और 4 मई को एक अन्य स्थान पर जनसभा करेंगे।
सीमांचल में AIMIM की वापसी की कोशिश
पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने बिहार की 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें अधिकांश सीटें सीमांचल क्षेत्र की थीं, जो मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है। किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत काफी अधिक है, जिससे AIMIM को यहां समर्थन मिला था।
जातीय जनगणना पर ओवैसी का सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने जातीय जनगणना को लेकर भी केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक न्याय और सकारात्मक कार्रवाई के लिए जातीय जनगणना आवश्यक है। ओवैसी ने पूछा कि सरकार इसे कब शुरू करेगी और क्या इसकी रिपोर्ट 2029 के संसदीय चुनाव से पहले आएगी।
AIMIM की रणनीति और विपक्ष पर निशाना
ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी इस बार पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी और सीमांचल की जनता उन लोगों को सबक सिखाएगी जिन्होंने AIMIM के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि AIMIM को "बी टीम" कहने वाले खुद उन पार्टियों के साथ गठबंधन कर रहे हैं जो पहले भाजपा के साथ थे।
बिहार चुनाव में AIMIM की यह रणनीति और ओवैसी की सक्रियता राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है। सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के बीच AIMIM की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।