वर्तमान समय में, जब आधुनिक चिकित्सा ने कई रोगों पर विजय प्राप्त की है, फिर भी ऐसी कई समस्याएं हैं जहाँ परंपरागत उपाय या आधुनिक चिकित्सा सीमित प्रभाव डालती है। ऐसे में रेकी और आभामंडल (Aura) से जुड़ी चिकित्सा पद्धतियाँ एक नया और प्रभावशाली विकल्प बनकर उभर रही हैं। यह पद्धति न केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलित करती है।
रेकी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है "ईश्वरीय ऊर्जा" या "कायनात की ऊर्जा"। यह एक ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जिससे शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित कर विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं को दूर किया जाता है। रेकी में उपचारक अपने हाथों के माध्यम से ऊर्जा को स्थानांतरित करता है। यह पद्धति शारीरिक तनाव, चिंता, दर्द, गठिया, दमा, कैंसर, अनिद्रा, मधुमेह, मोटापा, मानसिक विकार, स्त्री रोग, बांझपन, और यहां तक कि मानसिक रोगों में भी सहायता करती है।
रेकी के संबंध में मान्यता है कि हमारे शरीर के चारों ओर एक ऊर्जा क्षेत्र होता है जिसे आभामंडल (Aura) कहते हैं। जब यह ऊर्जा क्षेत्र कमजोर या अशुद्ध होता है, तब बीमारियाँ और मानसिक समस्याएँ जन्म लेती हैं। रेकी मास्टर अपने हाथों के माध्यम से इस Aura को शुद्ध करता है और ऊर्जा का प्रवाह सामान्य करता है। यह प्रक्रिया शरीर के 24 प्रमुख ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित कर मानव के आंतरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाती है।
Aura एक सूक्ष्म ऊर्जा परत है जो हमारे शरीर के चारों ओर 4 से 6 इंच या अधिक तक फैली होती है। यह हमारे विचारों, भावनाओं और स्वास्थ्य का प्रतिबिंब करती है। स्वस्थ व्यक्ति का Aura विस्तृत और उज्जवल होता है, तनावग्रस्त या बीमार व्यक्ति का Aura सिकुड़ जाता है और साधु-संतों, ध्यानयोगियों और पवित्र जीवन जीने वालों का Aura कई मीटर तक फैला होता है। Aura का रंग और विस्तार मानसिक और भावनात्मक स्थिति को दर्शाता है।
मानव शरीर में 7 प्रमुख और 24 कुल ऊर्जा केंद्र होते हैं। ये चक्र हमारे जीवन की हर भावना, व्यवहार, और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। यदि ये चक्र बाधित होते हैं, तो इसका प्रभाव सीधा हमारे शरीर और मन पर पड़ता है।
मानव शरीर के प्रमुख चक्रों में, मूलाधार चक्र (Root), स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral), मणिपुर चक्र (Solar Plexus), अनाहत चक्र (Heart), विशुद्धि चक्र (Throat), आज्ञा चक्र (Third Eye) और सहस्रार चक्र (Crown) शामिल हैं। रेकी इन चक्रों को संतुलित कर उन्हें सक्रिय करती है, जिससे व्यक्ति शांति, स्थिरता और शक्ति महसूस करता है।
औरा को शुद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए नमक और नींबू जैसे- समुद्री नमक, हींग, नींबू रस, लेवेंडर ऑयल, चंदन और गुलाब जल मिलाकर स्नान करने से, Aura की सफाई होती है और मानसिक तनाव दूर होता है। प्राकृतिक जल जैसे- नदी, झरना, या समुद्र में स्नान करने से, आभामंडल (Aura) की सफाई होती है। हिन्दू धर्म में गंगा स्नान इसी कारण से पवित्र माना गया है। बारिश में चलने यानि बारिश के समय टहलना और जल बूँदों को शरीर पर महसूस करना Aura को स्वाभाविक रूप से साफ करता है। क्रिस्टल का प्रयोग जैसे- Quartz, Amethyst, Moonstone, Labradorite आदि क्रिस्टल Aura को मजबूत बनाते हैं। इन्हें लॉकेट, अंगूठी, ब्रासलेट या घर में पेपर वेट के रूप में उपयोग किया जा सकता है, और ध्यान एव मंत्र जाप जैसे- रोजाना 10 मिनट ध्यान लगाकर “ओम्” या कोई अन्य सकारात्मक मंत्र जपने से मानसिक शांति मिलती है और Aura में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Aura को अब आधुनिक तकनीक से भी मापा जा सकता है। Aura स्कैनिंग मशीन व्यक्ति के Aura के रंग, संतुलन और उर्जा स्तर को जांचने में सक्षम है। यह मशीन यह भी बताती है कि कौन सी दवा किस व्यक्ति पर ज्यादा असरकारक होगी, कौन सा रत्न और उसका टुकड़ा किसके लिए उपयुक्त होगा, क्या कोई व्यक्ति पितृ दोष या नजर दोष से पीड़ित है और Aura के माध्यम से ग्रह-नक्षत्र के प्रभावों का विश्लेषण भी संभव है। इस प्रकार यह डिवाइस आधुनिक ज्योतिष और चिकित्सा का समन्वय बनाती है।
रेकी का अभ्यास करने के लिए शांत वातावरण चुनना चाहिए, रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान लगाना चाहिए, हाथों को शरीर के विभिन्न चक्रों पर रखना चाहिए, मन में “रेकी” शब्द का जाप करना या गाइडेड मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए, अपने Aura की सफाई और शक्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा रेकी मास्टर की देखरेख में प्रशिक्षण लेना चाहिए।
रेकी और Aura से तनाव और मानसिक चिंता से राहत मिलती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है, आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक स्पष्टता बनती है, रचनात्मकता और सकारात्मक सोच का विकास होता है और नींद में सुधार और शरीर में स्फूर्ति आती है।
रेकी, योग, प्राणायाम, और ध्यान जैसी परंपरागत भारतीय पद्धतियों के साथ मिलकर कार्य करती है। यह उन्हें प्रतिस्थापित नहीं करती बल्कि उनके प्रभाव को और गहरा बनाती है। रेकी का अभ्यास योगियों के लिए आध्यात्मिक विकास में सहायक सिद्ध होता है।
रेकी और Aura की चिकित्सा पद्धति हमें यह सिखाती है कि मनुष्य सिर्फ एक मांसपेशियों का ढांचा नहीं है, बल्कि ऊर्जा और चेतना का एक परिष्कृत रूप है। जब हम अपने ऊर्जा क्षेत्र को साफ, संतुलित और शक्तिशाली बनाते हैं, तब न केवल हमारी शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि हमारा संपूर्ण जीवन सकारात्मकता, संतुलन और आध्यात्मिक विकास से भर जाता है। आज जब लोग मानसिक तनाव, अवसाद, और जीवन की दौड़ में थकान महसूस करते हैं, तब रेकी और Aura की शक्ति उन्हें एक नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और जीवन को दिशा देती है।
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