पहलगाम आतंकी हमले के बाद से घाटी के युवकों की मानसिकता में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। आतंकी हमलों के खिलाफ कश्मीर घाटी में बंद को व्यापक समर्थन मिलने के बाद, अब कश्मीरी युवकों में धार्मिक चिह्नों और हथियारों के टेटू हटवाने की होड़ लगी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर के एक लेजर क्लिनिक में बासित बशीर ने बताया कि प्रत्येक दिन लगभग 100 युवक टैटू हटवा रहे हैं। बशीर ने यह भी बताया है कि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद एक हजार से अधिक युवाओं के हाथ और गर्दन से एके-47 और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियारों तथा चांद-सितारों जैसे टेटू हटाया हैं।
कश्मीर में 1989 में भारत के खिलाफ माहौल, आतंकियों और कट्टरपंथ के समर्थन के लिए टैटू था विरोध का जरिया। कश्मीर में टैटू राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक जरिया बन गया था। घाटी में अशांति के दौर में आम युवकों से लेकर प्रभावशाली लोगों में, टैटू बनवाने का प्रचलन चल गया था। लेकिन पहलगाम हमले के बाद से अब टैटू हटाने का चलन बढ़ गया है।
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