रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की पहल: ट्रंप और चीन के बीच 'क्रेडिट वॉर'

Jitendra Kumar Sinha
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रूस और यूक्रेन के बीच तीन वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में हाल ही में नई कूटनीतिक हलचल देखी गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से दो घंटे की फोन बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच तत्काल शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति प्राप्त की है। ट्रंप ने इस पहल को अपनी एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में प्रस्तुत किया है।


इस घोषणा के तुरंत बाद, चीन ने भी इस प्रक्रिया में अपनी भूमिका को रेखांकित किया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "चीन शांति के लिए किए गए सभी प्रयासों का समर्थन करता है। हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष बातचीत और संवाद की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।" चीन का यह बयान संकेत देता है कि वह भी इस शांति प्रक्रिया में एक सक्रिय 'शांतिदूत' की भूमिका निभाना चाहता है।


ट्रंप ने दावा किया कि पुतिन से उनकी दो घंटे लंबी फोन कॉल के बाद ही रूस-यूक्रेन में तत्काल शांति वार्ता की सहमति बनी। उन्होंने कहा कि अगर बातचीत आगे बढ़ती है तो इससे न सिर्फ युद्ध थमेगा बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी बल मिलेगा। ट्रंप प्रशासन इसे उनकी "डीलमेकर" वाली छवि का प्रमाण बता रहा है।


चीन ने भी रूस-यूक्रेन सीजफायर से पहले क्रेडिट लेना शुरू कर दिया है। मंगलवार को उसके बयान से साफ है कि वह भी लंबे समय से दोनों देशों के बीच शांति चाहता है। चीन पहले भी रूस-यूक्रेन विवाद में मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है। 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन से मुलाकात की थी और ‘शांति प्रस्ताव’ का सुझाव दिया था, हालांकि उस वक्त यूक्रेन और पश्चिमी देश चीन की पहल को निष्पक्ष नहीं मानते थे। अब जब ट्रंप के दावे के बाद शांति वार्ता की जमीन बन रही है, तो बीजिंग एक बार फिर खुद को शांतिदूत के रूप में पेश करना चाहता है।


रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था। रूस ने यूक्रेन पर पूरी ताकत से हमला बोला था। अब तक इस जंग में अरबों की संपदा खाक हो चुकी है और दोनों ओर से लाखों जानें जा चुकी हैं। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। कई बार युद्धविराम और शांति वार्ता की कोशिशें हुईं लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। 2023 में वॉशिंगटन, बीजिंग और इस्तांबुल में भी बैकचैनल डिप्लोमेसी के प्रयास हुए थे, लेकिन रूस ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता और पश्चिमी समर्थन को लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ था।


अभी तक रूस या यूक्रेन की तरफ से शांति वार्ता की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे और चीन की बयानबाजी से संकेत मिल रहा है कि बड़े स्तर पर कूटनीतिक गतिविधियां शुरू हो सकती हैं।


इस स्थिति में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ये पहलें वास्तव में युद्ध को समाप्त करने में सफल होती हैं या यह केवल कूटनीतिक क्रेडिट लेने की होड़ बनकर रह जाती हैं।

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