देश की राजधानी दिल्ली में अवैध तरीके से रह रहे विदेशी नागरिकों की धरपकड़ तेज हो गई है। इस बार पुलिस के हत्थे एक ही परिवार के 17 बांग्लादेशी नागरिक चढ़े हैं जो वर्षों से वसंतकुंज इलाके में गुपचुप रह रहे थे। दिल्ली पुलिस की सख्ती और सतर्कता के चलते इन सभी को पकड़ा गया है और अब इनका निर्वासन सुनिश्चित किया जा रहा है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह पूरा परिवार नदी और जंगल के रास्ते चोरी-छिपे भारत में दाखिल हुआ था। परिवार के मुखिया ने अपनी पत्नी के साथ सबसे पहले बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ की थी। इसके बाद उन्होंने अपने अन्य परिजनों को भी बुला लिया और वसंतकुंज में किराए पर मकान लेकर रहना शुरू कर दिया।
ये सभी लोग बिना किसी वैध पासपोर्ट या वीज़ा के दिल्ली में रह रहे थे और स्थानीय मजदूरी या घरेलू कामकाज कर अपनी जीविका चला रहे थे। चौंकाने वाली बात यह है कि इतने वर्षों तक यह पूरा परिवार किसी भी कानूनी दस्तावेज के बिना कैसे रह रहा था, यह सवाल भी जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गया है।
दिल्ली पुलिस के दक्षिण-पश्चिम जिला उपायुक्त अमित गोयल के अनुसार, वसंतकुंज साउथ थाना पुलिस की टीम इलाके में नियमित गश्त कर रही थी। इसी दौरान इंस्पेक्टर अरविंद प्रताप सिंह और उनकी टीम को खुफिया सूचना मिली कि इलाके में कुछ संदिग्ध लोग बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे हैं।
एसआई रतन सिंह, एसआई उपेंद्र सिंह और एसआई प्रीति के नेतृत्व में विशेष टीम बनाई गई जिसने सूचना की पुष्टि करने के बाद इलाके में छापेमारी की। इस छापेमारी में एक ही परिवार के 17 बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में कोई भी वैध दस्तावेज नहीं दिखा सका, जिससे इनकी अवैध घुसपैठ की पुष्टि हो गई।
पुलिस ने इन सभी के खिलाफ संबंधित कानूनी धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) दिल्ली की मदद से निर्वासन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। सभी को फिलहाल निर्वासन केंद्र भेज दिया गया है, जहां से इन्हें जल्द ही वापस उनके देश बांग्लादेश भेजा जाएगा।
यह मामला दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की मौजूदगी को लेकर गंभीर संकेत देता है। खासतौर पर जब एक ही परिवार के 17 सदस्य बिना किसी वैध दस्तावेज के वर्षों तक रह सकते हैं, तो यह सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
