बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रगान से जुड़े एक विवादित मामले में पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ राष्ट्रगान के अपमान से जुड़े मामले को खारिज करते हुए साफ कहा है कि राष्ट्रगान के दौरान खड़े होकर हाथ जोड़ना और मुस्कुराना किसी भी तरह से अपमान की श्रेणी में नहीं आता है। यह मामला एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान का है, जिसमें राष्ट्रगान के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हाथ जोड़े, मुस्कुराते हुए खड़े देखा गया था। इस पर एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह राष्ट्रगान का "अनादर" है और यह भारतीय राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है।
मजिस्ट्रेटी अदालत ने इस शिकायत को सुनवाई योग्य मानते हुए नीतीश कुमार को समन भेजने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण और बिना कानूनी आधार का बताया।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “राष्ट्रगान के समय खड़ा होना, हाथ जोड़ना और मुस्कुराना- यह सब भारतीय संस्कृति में सम्मान प्रकट करने के सामान्य रूप हैं। इन क्रियाओं को अपमान की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता।” कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति के हावभाव की व्याख्या इस आधार पर नहीं किया जा सकता है कि वह राष्ट्रगान का अपमान है, जब तक कि उसमें जानबूझकर अनादर या अपमान की मंशा न हो।
इस फैसले के बाद जदयू और महागठबंधन के नेताओं ने कोर्ट के निर्णय को "सच की जीत" बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री हमेशा भारतीय संविधान और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करते आए हैं, और यह मामला केवल उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश था।
यह फैसला भारतीय न्यायपालिका की उस संतुलित दृष्टि को दर्शाता है, जो भावनात्मक मुद्दों को कानून की कसौटी पर तौलती है। राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान को लेकर संवेदनशीलता जरूरी है, लेकिन हर क्रिया को अपमान मान लेना भी न्याय का उल्लंघन हो सकता है।
