बिहार के अस्पताल में सख्ती - बाहर की दवा लिखने पर डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई

Jitendra Kumar Sinha
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पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) प्रशासन ने एक कड़ा फैसला लेते हुए उन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की है जो अस्पताल की सूची में मौजूद दवाओं की जगह जानबूझकर बाहर की महंगी दवाइयां मरीजों को लिखते हैं। यह कदम गरीब और जरूरतमंद मरीजों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि उनके इलाज का बोझ कम हो सके।

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने बताया है कि सभी विभागों के ओपीडी में डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाइयों की जांच के लिए एक विशेष चिकित्सकीय टीम का गठन किया गया है। यह टीम हर दिन ओपीडी की पर्चियों को खंगालेगी और देखेगी कि जो दवाइयां लिखी गई हैं, वह अस्पताल की स्वीकृत सूची में हैं या नहीं।

अगर कोई डॉक्टर जानबूझकर बाहर की दवा लिखता है जबकि वही दवा अस्पताल स्टॉक में मौजूद है, तो उस डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई किया जाएगा। यह कार्रवाई विभागीय स्तर पर किया जाएगा और संबंधित विभागाध्यक्ष को इसकी जानकारी भेजी जाएगी।

डॉ. ठाकुर ने बताया है कि अस्पताल को बीएमएसआईसीएल (बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) से लगभग सभी आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति हो रहा है। कुछेक दवाओं की कमी है, जिसके लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा गया है और जल्द ही उन दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर ली जाएगी।

सूचना मिली है कि कुछ डॉक्टर जानबूझकर बाहर की ब्रांडेड दवाइयां मरीजों को लिख रहे हैं, जबकि उन्हीं की जेनेरिक दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं। इससे न केवल मरीजों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था पर भी सवाल उठता हैं। अधीक्षक ने स्पष्ट कहा है कि यह रवैया स्वीकार्य नहीं है और जो भी डॉक्टर इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किया जायेगा। 

नया नियम यह तय करता है कि अगर किसी खास दवा की आपूर्ति अस्पताल में नहीं है और वह दवा सूची में भी शामिल नहीं है, तब ही डॉक्टर को बाहर की दवा लिखने की अनुमति होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इलाज की गुणवत्ता प्रभावित न हो, लेकिन मरीजों को अनावश्यक रूप से महंगी दवाएं भी न लेनी पड़ें।

पीएमसीएच प्रशासन का यह कदम स्वागतयोग्य है। इससे न केवल गरीब मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकारी अस्पतालों की विश्वसनीयता और पारदर्शिता भी बनी रहेगी। उम्मीद है कि अन्य सरकारी अस्पताल भी इसी तरह की सख्ती अपनाकर चिकित्सा व्यवस्था को मरीजों के लिए अधिक सुलभ और सस्ता बनाएंगे।



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