प्रत्येक महीने के पहले गुरुवार को प्रत्येक वार्ड में होगा “जल चौपाल”

Jitendra Kumar Sinha
0




“जल ही जीवन है” यह वाक्य अब केवल एक नारा नहीं रहा, बल्कि शासन और प्रशासन के क्रियान्वयन में भी सजीव रूप से प्रकट हो रहा है। बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) ने “हर घर नल का जल” योजना के अंतर्गत जल चौपाल को नियमित कार्यक्रम का रूप दे दिया है। अब प्रत्येक महीने के पहले गुरुवार को प्रत्येक वार्ड में जल चौपाल का आयोजन किया जाएगा, जिसका उद्देश्य है-  घर-घर जल आपूर्ति की समीक्षा, समस्याओं की पहचान और समुदाय की सीधी भागीदारी। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक दृष्टि से सराहनीय है, बल्कि जल प्रबंधन को जन भागीदारी के साथ जोड़ने वाला एक क्रांतिकारी प्रयास भी है।

जल चौपाल एक संवादात्मक मंच है, जहां आम जनता, स्थानीय पंप ऑपरेटर, अनुरक्षक (केयरटेकर), निगरानी समिति के सदस्य और विभागीय अधिकारी एक साथ बैठकर पेयजल से जुड़ी समस्याओं और समाधान पर चर्चा करते हैं।

जल चौपाल का उद्देश्य मात्र बैठक करना नहीं है, बल्कि वार्ड स्तर पर पारदर्शिता, जवाबदेही और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। इसके तहत वार्ड में कुल परिवारों की गणना, जिन्हें जल कनेक्शन मिल चुका है और जो वंचित हैं, उनकी पहचान करना, नई सूची का अद्यतन कराना और उसे विभाग को सौंपना, जल उपयोग की आदतों पर चर्चा और जागरूकता, जल संरक्षण और बर्बादी रोकने के उपायों की शिक्षा देना,
महिलाओं और युवाओं की निगरानी समिति बनाना जैसे बिंदुओं पर कार्य होगा। 

नल से आपूर्ति किया गया जल केवल घरेलू उपयोग जैसे पीने, खाना बनाने, स्नान और कपड़े धोने के लिए है। इसका प्रयोग वाहनों की सफाई, पशुओं के स्नान, खेतों की सिंचाई के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, टुल्लू पंप या अन्य तेज जल खींचने वाले यंत्रों का प्रयोग पूरी तरह वर्जित रहेगा क्योंकि यह अन्य उपभोक्ताओं के हक के जल को अवैध रूप से खींचते हैं।

चौपालों में एक खास विषय यह भी रहेगा कि हर नागरिक को प्रतिदिन औसतन 70 लीटर जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। लेकिन यह सुविधा तभी सार्थक है जब कोई भी जल की बर्बादी न करे, पाइपलाइन लीक न हों, ओवरफ्लो होने वाले टैंक या टपकते नल समय पर मरम्मत किए जाएं। इसके लिए वार्ड में उपभोक्ताओं को जागरूक किया जाएगा और आवश्यकता होने पर चेतावनी भी दी जाएगी।

जल चौपाल के एजेंडे में यह भी शामिल है कि लोगों को समझाया जाए कि जल भंडारण के बर्तन स्वच्छ होने चाहिए। इसके अतिरिक्त पानी के टैंक और बर्तन समय-समय पर साफ करें। जल निकासी की व्यवस्था सुरक्षित हो, ताकि जलजमाव और बीमारियों से बचाव हो। पाइपलाइन के आसपास की स्वच्छता का ध्यान रखा जाए।

इस पहल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार निगरानी समितियों में महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी चाहती है। यह समिति जल दुरुपयोग की निगरानी करेगी, समस्या होने पर विभागीय टीम को सूचित करेगी, जरूरत पड़ने पर घर-घर जाकर जन जागरूकता अभियान चलाएगी। यह दृष्टिकोण यह भी दिखाता है कि जल चौपाल केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का मंच भी है।

चूंकि जल आपूर्ति एक संवेदनशील और बुनियादी सेवा है, इसलिए सरकार अब इसे केवल विभागीय मोड में नहीं, बल्कि सामुदायिक नियंत्रण और सहभागिता के जरिए संचालित करना चाहती है। विभाग ने अभियंताओं और पंप ऑपरेटरों को निर्देश दिया है कि वे चौपाल को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि हर वार्ड में समय पर बैठक हो, मुद्दों की समीक्षा और समाधान किया जाए, जन संवाद को बाधित न होने दिया जाए।

जल चौपाल अब एक ऐसे जन संवाद मंच के रूप में विकसित हो रहा है, जहां लोग अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकेंगे और विभाग सीधे समाधान की दिशा में कदम उठा सकेगा। इससे ना केवल जल सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि विश्वास, पारदर्शिता और जन भागीदारी का भी विस्तार होगा। बिहार जैसे जल-संवेदनशील राज्य में यह पहल मील का पत्थर साबित हो सकता है। एक ओर जहां सरकार जल पहुंच की गारंटी देने को प्रतिबद्ध है, वहीं जनता को भी इसके समुचित उपयोग और संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी होगी। जल चौपाल न केवल जल योजना की समीक्षा का जरिया बनेगा, बल्कि यह नागरिक चेतना और भागीदारी का नया अध्याय भी रचेगा।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top