राजभवन में आयोजित समारोह में भगवा ध्वज और भारत माता के चित्र के उपयोग को लेकर केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी के मंच से बहिर्गमन ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दिया है। गुरुवार को राजभवन में आयोजित एक सरकारी समारोह में यह घटना तब घटी जब मंत्री ने मंच पर भगवा ध्वज और भारत माता के चित्र को देखा।
शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने कार्यक्रम के दौरान आयोजकों से यह सवाल किया कि क्यों एक आधिकारिक सरकारी मंच पर भगवा ध्वज और भारत माता के चित्र को प्रमुखता दी गई है, जबकि यह कार्यक्रम संवैधानिक दायरे में था और इसमें किसी धार्मिक अथवा राजनीतिक प्रतीक का कोई स्थान नहीं होना चाहिए था। उन्होंने यह कहते हुए कार्यक्रम छोड़ दिया कि “सरकारी आयोजनों में किसी विशेष विचारधारा के प्रतीकों का प्रयोग लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।”
इस घटना के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सत्ताधारी वामपंथी गठबंधन के नेताओं ने मंत्री के कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि संविधान के अनुसार, सरकारी मंचों को निष्पक्ष और धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। वहीं विपक्षी दल भाजपा ने मंत्री के इस कृत्य को “हिन्दू विरोधी मानसिकता” बताया और कहा कि भारत माता और भगवा ध्वज को अपमानित करना राष्ट्र के गौरव का अपमान है।
भाजपा नेता के. सुरेंद्रन ने एक बयान में कहा है कि “भगवा ध्वज भारतीय परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। भारत माता के चित्र का विरोध करना देश की अस्मिता का विरोध है। वामपंथी नेताओं को यह समझना होगा कि राष्ट्रीय पहचान को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।”
शिक्षा मंत्री के बहिर्गमन के बाद विपक्ष और नागरिक समाज के कई वर्गों ने राज्यपाल और राजभवन की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया हैं। आलोचकों का कहना है कि राजभवन एक संवैधानिक संस्था है, न कि किसी राजनीतिक दल की विचारधारा का मंच। ऐसे में भगवा ध्वज और भारत माता का चित्र वहां क्यों लगाया गया, यह गंभीर जांच का विषय है।
हालांकि राजभवन की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह आयोजन एक सांस्कृतिक संस्था के सहयोग से आयोजित किया गया था और प्रतीकों का चयन उस संस्था द्वारा किया गया था।
केरल में पहले भी भगवा और अन्य धार्मिक प्रतीकों को लेकर विवाद सामने आता रहा हैं, लेकिन इस बार यह मुद्दा राज्य के संवैधानिक और राजनीतिक केंद्र राजभवन में हुआ है, जिससे इसकी गंभीरता और भी बढ़ जाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच पहले से चला आ रहा तनाव में यह नया विवाद किस दिशा में मोड़ लेता है।
