तेलंगाना में नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता उस समय सामने आई जब प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से जुड़े 12 नक्सलियों ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। यह समर्पण भद्राद्री-कोठागुडेम जिले में हुआ, जहां राज्य पुलिस की सतर्क निगरानी और प्रभावी पुनर्वास नीति का असर देखने को मिला। पुलिस के अनुसार, समर्पण करने वालों में तीन महिला नक्सली भी शामिल हैं, जो लंबे समय से संगठन से जुड़ी हुई थी और जंगलों में सक्रिय भूमिगत गतिविधियों में हिस्सा ले रही थी।
राज्य पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि समर्पण करने वाले नक्सली, संगठन के विभिन्न स्तरों पर कार्यरत थे, जिनमें एरिया कमांडर, दलम सदस्य और स्थानीय संगठन कार्यकर्ता शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इन माओवादियों ने आत्मग्लानि और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है।
समर्पण के दौरान इन नक्सलियों ने अपनी हथियारबंद गतिविधियों को छोड़ शांति और लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास जताया है। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि नक्सली आंदोलन अब आम जनता की भलाई के लिए नहीं, बल्कि नेतृत्व के स्वार्थों की पूर्ति के लिए चल रहा है। उन्होंने युवाओं से भी अपील किया है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर शिक्षा और रोजगार की ओर बढ़ें।
इस आत्मसमर्पण में तीन महिला नक्सलियों का शामिल होना सामाजिक बदलाव की दिशा में एक उल्लेखनीय संकेत है। पुलिस ने बताया कि ये महिलाएं कई वर्षों से माओवादी संगठन की सक्रिय सदस्य थी और जंगलों में ऑपरेशनल भूमिका निभा रही थी। इनमें से कुछ पर हिंसक घटनाओं में शामिल होने के आरोप भी थे।
महिला नक्सलियों ने कहा है कि वे अब सामान्य जीवन जीना चाहती हैं और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देना चाहती हैं। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि उन्हें समाज में पुनर्स्थापित करने में मदद की जाए।
तेलंगाना सरकार और पुलिस विभाग की पुनर्वास नीति का यह बड़ा उदाहरण है कि सही दृष्टिकोण और लगातार संवाद के माध्यम से कट्टरपंथ से जुड़े लोग भी मुख्यधारा की ओर लौट सकते हैं। सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को वित्तीय सहायता, आवास, रोजगार प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिससे वे सामान्य जीवन में वापसी कर सके। भद्राद्री-कोठागुडेम एसपी ने समर्पण करने वाले सभी माओवादियों को आश्वस्त किया है कि सरकार उन्हें हरसंभव सहायता देगी ताकि वे अपने जीवन में एक नई शुरुआत कर सकें।
तेलंगाना में 12 नक्सलियों का यह आत्मसमर्पण केवल सुरक्षा बलों की सफलता नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव की प्रतीक घटना है। यह दर्शाता है कि जब सरकार संवेदनशीलता और दृढ़ता के साथ कार्य करती है, तो हिंसा का रास्ता छोड़कर लोग विकास की राह चुन सकते हैं। यह घटना न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है कि आतंक और हथियार से अधिक शक्तिशाली होता है संवाद, नीति और पुनर्वास की शक्ति।
