राज्य में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और आवासीय जरूरतों को देखते हुए सरकार अब जमीन की समस्या को दूर करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य सरकार जल्द ही लैंड पूलिंग पॉलिसी लेकर आएगी, जिससे कॉलोनियों का विकास आसान और व्यवस्थित ढंग से हो सकेगा।
लैंड पूलिंग पॉलिसी (Land Pooling Policy) एक ऐसी योजना है जिसमें निजी जमीन मालिक, किसानों या भू-स्वामियों की जमीन को सरकार या विकास प्राधिकरण के साथ एक साझेदारी मॉडल में जोड़ा जाता है। इसमें भूमि का एक हिस्सा सरकार या विकासकर्ता को दिया जाता है, ताकि वह सड़क, पार्क, ड्रेनेज, स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं विकसित कर सके। बदले में, जमीन मालिकों को विकसित जमीन का कुछ हिस्सा लौटाया जाता है, जिसकी कीमत पहले से कई गुना अधिक होती है।
राज्य में नये-नये रिहायशी कॉलोनियों की मांग बढ़ रही है, लेकिन जमीन अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। पारंपरिक अधिग्रहण प्रक्रिया में भूमि मालिकों को कम मुआवज़ा मिलता है, जिससे विरोध होता है और परियोजनाएं वर्षों तक अटक जाती हैं। लैंड पूलिंग पॉलिसी इन सभी समस्याओं का समाधान देती है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि "राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी को घर मिले और कॉलोनियों का विकास सुनियोजित तरीके से हो। लैंड पूलिंग पॉलिसी आने के बाद सरकार बिल्डरों के साथ मिलकर बेहतर बुनियादी सुविधाओं के साथ कॉलोनियों का निर्माण कर सकेगी।"
भू-स्वामियों को अपनी जमीन खोने की चिंता नहीं होगी। उन्हें विकसित और मूल्यवर्धित जमीन का हिस्सा मिलेगा। सरकार को अधिग्रहण में समय और पैसा बर्बाद नहीं करना पड़ेगा। बिल्डर्स को सरकार से सहयोग मिलेगा जिससे बुनियादी ढांचे की बेहतर सुविधा मिलेगी। आम नागरिकों को सुव्यवस्थित कॉलोनियों में रहने का अवसर मिलेगा, जहां सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाएं पहले से सुनिश्चित होगी।
दिल्ली, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में यह नीति पहले ही लागू किया जा चुका है, और इन राज्यों में यह नीति बेहद सफल रही है। अमरावती शहर का विकास आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी नीति के तहत किया था।
राज्य सरकार की यह पहल शहरी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। लैंड पूलिंग पॉलिसी के माध्यम से सरकार, बिल्डर और जनता, तीनों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। अब उम्मीद किया जा रहा है कि नीति जल्द ही लागू होगी और राज्य के आवासीय नक्शे में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी।
