खस्ताहाल निजी ITI संस्थानों पर गिरेगी गाज - होगा निबंधन रद्द

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार में तकनीकी शिक्षा को लेकर गंभीर संकट उभर रहा है। राज्य भर में सैकड़ों निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) बिना किसी बुनियादी सुविधा के केवल नाम के लिए चल रहा हैं। अब श्रम संसाधन विभाग ने ऐसे संस्थानों पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। तय मानकों का उल्लंघन कर संचालित हो रहे ITI का निबंधन रद्द किया जाएगा।

राज्य में 1200 से अधिक निजी ITI हैं, जिनमें से अधिकांश में न तो प्रयोगशाला की सुविधा है और न ही प्रशिक्षित शिक्षक। कुछ संस्थानों में टीन की छतों वाली झोपड़ी जैसी संरचना में कक्षाएं चलाई जा रही हैं। कहीं-कहीं छात्रों को प्रैक्टिकल करने के लिए जरूरी उपकरण भी नहीं मिलते। तकनीकी शिक्षा का यह हाल छात्रों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है।

सरकारी ITI में सीमित सीटों और प्रवेश की कठिन प्रक्रिया के कारण अधिकांश छात्र निजी संस्थानों की ओर रुख करते हैं। लेकिन वहां उन्हें न तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, न ही रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण। वे केवल डिप्लोमा के एक कागज़ के सहारे बाहर निकल जाते हैं, जिसकी बाज़ार में कोई खास उपयोगिता नहीं होती है।

श्रम संसाधन विभाग ने सभी जिला के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे निजी ITI संस्थानों की भौतिक जांच करें। जिन संस्थानों में मानक के अनुरूप भवन, प्रयोगशाला, उपकरण और योग्य शिक्षक नहीं होंगे, उनके निबंधन को तत्काल रद्द किया जाएगा। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक जरूरी कदम माना जा रहा है।

इस फैसले से उन छात्रों को राहत मिलेगी जो अनजाने में ऐसे संस्थानों में प्रवेश लेते हैं और भविष्य में निराशा झेलते हैं। अब यह सुनिश्चित होगा कि केवल वही संस्थान संचालित हों, जो तय मानकों के अनुरूप बुनियादी ढांचा, योग्य प्रशिक्षक और व्यावहारिक शिक्षा उपलब्ध कराते हैं।

बिना सुविधा वाले ITI केवल छात्रों के पैसे व समय की बर्बादी हैं। राज्य सरकार का यह कदम सराहनीय है क्योंकि इससे तकनीकी शिक्षा में पारदर्शिता और गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा। यदि यह सख्ती लगातार जारी रही, तो आने वाले समय में बिहार में तकनीकी शिक्षा का भविष्य बेहतर और भरोसेमंद बन सकेगा।



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