फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री, जो अपनी चर्चित फिल्म 'द ताशकंद फाइल्स' और 'द कश्मीर फाइल्स' के माध्यम से इतिहास के अनछुए पहलुओं को बड़े पर्दे पर लाने के लिए पहचाने जाते हैं, एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह है उनकी आगामी फिल्म 'द दिल्ली फाइल्स: द बंगाल चैप्टर' का बदला हुआ नाम। मंगलवार को उन्होंने औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि इस फिल्म का नया और अंतिम नाम अब 'द बंगाल फाइल्स' होगा। यह फिल्म आगामी 5 सितंबर को दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी।
विवेक अग्निहोत्री की फिल्मों की सबसे खास बात यह है कि वह इतिहास के उन पन्नों को खंगालते हैं, जिन्हें या तो भुला दिया गया है या जिन पर चुप्पी साध ली गई है। 'द कश्मीर फाइल्स' की अभूतपूर्व सफलता और व्यापक सामाजिक-राजनीतिक विमर्श के बाद, अब 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर उत्सुकता चरम पर है। फिल्म के नाम में परिवर्तन के पीछे एक गहन रणनीति भी समझी जा रही है। पहले यह फिल्म ‘द दिल्ली फाइल्स: द बंगाल चैप्टर’ के नाम से प्रचारित हो रहा था, जिससे यह भ्रम पैदा हो रहा था कि यह केवल एक अध्याय है किसी बड़ी श्रृंखला का। लेकिन अब ‘द बंगाल फाइल्स’ नाम से यह स्पष्ट हो गया है कि फिल्म पूरी तरह बंगाल से संबंधित किसी संवेदनशील और ऐतिहासिक विषय को केंद्र में रखेगी।
जबकि फिल्म की कहानी को लेकर अभी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि यह फिल्म भी 'द कश्मीर फाइल्स' की तरह एक विवादास्पद, ऐतिहासिक और भावनात्मक विषय पर आधारित होगी। बंगाल का इतिहास विभाजन, राजनीतिक हिंसा, सांप्रदायिक संघर्ष और वैचारिक युद्धों से भरा पड़ा है। संभव है कि फिल्म इन्हीं पहलुओं को उजागर करे, जिन्हें लेकर आज भी बहुत से सवाल अनुत्तरित हैं। कुछ जानकार मानते हैं कि फिल्म बंगाल में हुए डायरेक्ट एक्शन डे, नोआखाली दंगे या नक्सल आंदोलन जैसे घटनाक्रमों पर आधारित हो सकता है।
सोशल मीडिया पर फिल्म के नाम परिवर्तन की घोषणा के साथ ही #TheBengalFiles ट्रेंड करने लगा है और लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी है। कई दर्शकों ने इसे विवेक अग्निहोत्री की एक और साहसी प्रस्तुति बताया है, वहीं कुछ लोगों ने इस पर संदेह भी जताया है कि क्या फिल्म निष्पक्ष होगी या किसी विशेष दृष्टिकोण को ही दर्शाएगी।
विवेक अग्निहोत्री ने अपने एक हालिया इंटरव्यू में कहा है कि यह फिल्म 'भारत के इतिहास की सबसे असहज और अनकही सच्चाई' को दर्शाएगी और यह "राष्ट्र के बौद्धिक और नैतिक विवेक को झकझोर देगी"। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि फिल्म का उद्देश्य किसी विशेष राजनीतिक या धार्मिक समूह को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाना है।
अब देखना यह है कि 5 सितंबर को जब 'द बंगाल फाइल्स' सिनेमाघरों में रिलीज होगी, तब यह दर्शकों की अपेक्षाओं पर कितना खरी उतरती है। क्या यह फिल्म भी 'द कश्मीर फाइल्स' की तरह समाज को झकझोर कर रख देगी या फिर किसी नई बहस को जन्म देगी? जवाब कुछ ही महीनों में सामने होगा।