भारत के लोकतंत्र की मजबूती की असली पहचान उसकी जड़ें ग्राम पंचायतों में छिपी होती है। ग्रामीण स्तर पर सत्ता का विकेंद्रीकरण और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने वाले पंचायत चुनाव समय-समय पर न केवल शासन प्रणाली को मजबूत करते हैं, बल्कि स्थानीय विकास को भी नई दिशा देते हैं। इसी क्रम में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 2634 रिक्त पंचायत पदों पर उपचुनाव की घोषणा की है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सोमवार को जारी कार्यक्रम के अनुसार, उपचुनाव की आधिकारिक अधिसूचना 13 जून 2025 को प्रकाशित की गई है। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया में नामांकन की प्रक्रिया 14 जून से शुरू होकर 20 जून तक चली। नामांकन पत्रों की जांच 21 जून को हो रही है। नाम वापस लेने की अंतिम तिथि: 24 जून निर्धारित की गई है। मतदान की तिथि 9 जुलाई 2025 है और मतगणना की तिथि 11 जुलाई है।
राज्य भर के विभिन्न जिलों में मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य जैसे पदों पर यह उपचुनाव कराए जाएंगे। जिन पंचायत क्षेत्रों में पद रिक्त हैं, वहां आदर्श आचार संहिता तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो।
पंचायत उपचुनाव सिर्फ खाली पद भरने की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है लोगों के हाथों में फिर से स्थानीय नेतृत्व चुनने की ताकत देना। ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, जल और स्वच्छता जैसे अनेक मुद्दे पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से ही हल होते हैं। इसलिए यह उपचुनाव ग्रामवासियों के लिए अपना नेता खुद चुनने का सुनहरा अवसर है।
चुनाव आयोग की ओर से निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं, और संवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान कर विशेष निगरानी की व्यवस्था की जाएगी। डिजिटल निगरानी और वेबकास्टिंग जैसी तकनीकों का उपयोग भी किया जाएगा।
इस पंचायत उपचुनाव में जनता की सक्रिय भागीदारी ही इसकी सफलता की कुंजी है। ग्रामीण मतदाताओं को चाहिए कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग सोच-समझकर करें और ऐसे प्रतिनिधियों को चुनें जो उनके गांव और पंचायत का समग्र विकास सुनिश्चित कर सकें।
यह उपचुनाव पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड), जिला परिषद सदस्य, सरपंच और पंच के रिक्त पदों के लिए आयोजित है।
