बिहार सरकार के वित्त विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम अनुपूरक बजट के लिए सभी विभागों से 25 जून तक प्रस्ताव मांगा है। विभाग ने एक आधिकारिक पत्र जारी कर सभी विभागीय सचिवों और प्रमुखों से स्पष्ट कहा है कि वे केवल उन्हीं प्रस्तावों को भेजें जो औचित्यपूर्ण, आवश्यक और सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों।
वित्त विभाग के अनुसार, जुलाई के तीसरे सप्ताह में संभावित मॉनसून सत्र के दौरान इस प्रथम अनुपूरक बजट को विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाएगा। सत्र के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अधिकतम तीन प्रतिशत तक सीमित रखने की नीति अपनाई गई है। ऐसे में केवल उन्हीं मदों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनकी स्वीकृति मंत्रिपरिषद से पहले ही मिल चुका है।
वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्थापना व्यय, प्रतिबद्ध व्यय, वेतन मद, और न्यायालय के आदेश से जुड़े भुगतान को ही प्रस्ताव में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा किसी भी नए मद या योजना पर विचार नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसका औचित्य स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया हो।
वित्त विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि टोकन राशि वाले प्रस्ताव, जो किसी स्वीकृत योजना या कार्यक्रम से संबंधित हैं, उन्हें भी सम्मिलित किया जा सकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार सिर्फ दिखावटी बजट नहीं, बल्कि यथार्थपरक और जिम्मेदार वित्तीय योजना प्रस्तुत करना चाहती है।
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में राज्यांश और केंद्रांश के मद में यदि कोई राशि आवश्यक है तो उसका प्रस्ताव भी भेजा जा सकता है। इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना पहले से चालू हो या फिर बजट में उसके लिए कोई प्रावधान किया गया हो। नवीन योजनाओं के लिए प्रस्ताव केवल तभी भेजे जा सकते हैं जब उनके लिए केंद्रीय सहायता स्वीकृत हो चुकी हो और राज्य स्तर पर बजटीय व्यवस्था अपेक्षित हो।
यदि किसी केंद्रीय प्रक्षेत्र योजना के तहत भारत सरकार ने राशि दे दी है, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से बजटीय व्यवस्था नहीं हो पाई है, या कम हो गई है, तो उसका औचित्यपूर्ण प्रस्ताव 25 जून तक भेजना अनिवार्य होगा। इस मामले में संबंधित प्रशासनिक विभागों को पहल करनी होगी।
वित्त विभाग का यह कदम राज्य में वित्तीय अनुशासन और संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में एक अहम प्रयास है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल ज़रूरी और पहले से अनुमोदित योजनाओं पर ही राज्य का व्यय केंद्रित हो और अनावश्यक प्रस्तावों से बचा जाए। विभागीय सचिवों और अधिकारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जहां समय पर प्रस्ताव भेजना राज्य की योजनाओं और विकास गतिविधियों के लिए आवश्यक होगा।
