मुंबई लोकल ट्रेन में आज एक दर्दनाक हादसा हुआ। सुबह करीब 9:20 बजे दीवा और मुंब्रा स्टेशन के बीच एक तेज रफ्तार सीएसएमटी लोकल ट्रेन में अत्यधिक भीड़ के कारण 10 से 12 यात्री ट्रेन से गिर पड़े। शुरुआती रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम 5 यात्रियों की मौत हो गई है, जबकि 6 गंभीर रूप से घायल हैं। हालांकि रेलवे की ओर से मृतकों की पुष्टि अब तक आधिकारिक रूप से नहीं की गई है।
घटना के समय ट्रेन में बेहद भीड़ थी। यात्रियों की मानें तो लोग दरवाजों पर लटककर यात्रा कर रहे थे और अचानक ट्रेन के झटके या संतुलन बिगड़ने से कई लोग एक साथ नीचे गिर गए। यह हादसा होते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। ट्रेन को तुरंत रोका गया और घायल यात्रियों को पास के अस्पतालों में ले जाया गया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गिरते समय कई लोग ट्रैक के किनारे पत्थरों से टकरा गए, जिससे गंभीर चोटें आईं।
घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे प्रशासन और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने बचाव कार्य शुरू किया और ट्रेन के संचालन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। इस वजह से सेंट्रल लाइन की कई लोकल ट्रेनें देर से चल रही हैं और यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुंबई जैसे महानगर में जहां लाखों लोग रोजाना लोकल ट्रेन से सफर करते हैं, ऐसी घटनाएं एक बार फिर ट्रेन यात्रा की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करती हैं।
रेलवे ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि घटना के पीछे भीड़ और संभावित धक्का-मुक्की मुख्य कारण हो सकते हैं। अब यह देखा जा रहा है कि क्या भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त उपाय किए गए थे या नहीं, और यदि नहीं, तो जिम्मेदारी किसकी है। वहीं यात्रियों का गुस्सा भी फूट पड़ा है—उनका कहना है कि लंबे समय से मांग की जा रही थी कि भीड़भाड़ वाले रूट्स पर अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जाएं, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस दुर्घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मुंबई की लोकल ट्रेनें केवल 'शहर की जीवनरेखा' नहीं, बल्कि जोखिम का साधन भी बन चुकी हैं। भीड़ और अव्यवस्था के बीच सफर करना अब रोजमर्रा का संघर्ष बन गया है। सवाल यह है कि कब तक?