चीन के क़िंगदाओ में आयोजित SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों द्वारा आतंकवाद के साथ नीति-निर्माण में दोहरे मानदंड अपनाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के हिस्से के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं—“ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं”।
उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का हवाला देते हुए इसके पैटर्न को लश्कर-ए-तैयबा द्वारा पिछले हमलों से मिलता-जुलता बताया। इसके बाद भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। राजनाथ सिंह ने आत्मरक्षा का अधिकार बताते हुए कहा कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं रह सकते और भारत आवश्यक कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।
साथ ही उन्होंने हथियारों के प्रसार—विशेषकर WMD—और विश्वास के संकट को शांति के सामने बड़ी चुनौती बताया। इन खतरों से निपटने के लिए उन्होंने एससीओ में संयुक्त और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
कुल मिलाकर, भारत ने बैठक में सम्मिलित मसौदा घोषणा पत्र को आतंकवाद से जुड़े मुद्दों को शामिल न करने के कारण स्वीकार नहीं किया और अंतिम बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया। इसके पीछे पाकिस्तान और SCO के अध्यक्ष चीन द्वारा मसौदे में पहलगाम हमले का जिक्र हटाने और बलूचिस्तान जैसे एकतरफा मुद्दे शामिल करने की कोशिश थी।
इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री पहली बार सार्वजनिक रूप से एक मंच पर दिखे, लेकिन दोनों के बीच कोई औपचारिक अभिवादन या बातचीत नहीं हुई
