भारतीय वायुसेना के शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: 41 साल बाद किसी भारतीय ने भरी अंतरिक्ष के लिए उड़ान

Jitendra Kumar Sinha
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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए 25 जून 2025 को अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। Axiom-4 मिशन के तहत वे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए। 41 साल पहले राकेश शर्मा के बाद वह दूसरे भारतीय बने हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की है। उनके इस ऐतिहासिक मिशन ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है।


शुभांशु की यह यात्रा भारत के लिए विशेष मानी जा रही है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति तक ने उन्हें बधाई दी है। पीएम मोदी ने कहा कि शुभांशु 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों को अंतरिक्ष में लेकर गए हैं। भारत का यह ‘स्पेस में पुनः पदार्पण’ पूरी दुनिया को दिखाता है कि हमारा देश अंतरिक्ष अनुसंधान में फिर से नई ऊंचाइयों को छूने को तैयार है। यह मिशन स्पेसएक्स, NASA और भारतीय एजेंसियों के सहयोग से संभव हुआ है और यह वैश्विक सहयोग का भी प्रतीक है।


मिशन के अन्य सदस्यों में अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की और हंगरी के टिबोर कपु शामिल हैं। यह मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक जाएगा, जहां चारों अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक प्रयोगों और अन्य गतिविधियों में भाग लेंगे।


शुभांशु की यह यात्रा उनके परिवार के लिए भी बेहद भावुक क्षण था। जब रॉकेट ने उड़ान भरी, तो उनकी मां आशा शुक्ला folded hands में, आंखों में आंसू लिए अपने बेटे को आसमान की ओर जाता देख रही थीं। उनके पिता शंभु दयाल शुक्ला ने कहा, “जिसका रक्षक ऊपर वाला है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” उनकी पत्नी कामना शुक्ला ने शुभांशु के साथ एक पुरानी तस्वीर शेयर की जिसमें उन्होंने लिखा, “एक अद्भुत जीवन साथी होने के लिए शुक्रिया।” यह पोस्ट और तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं।


शुभांशु और कामना की प्रेम कहानी भी बेहद खास है – दोनों की दोस्ती तीसरी कक्षा से है और अब वे एक बच्ची के माता-पिता हैं। शुभांशु की यह यात्रा उनके व्यक्तिगत जीवन, प्रोफेशनल समर्पण और भारत के अंतरिक्ष इतिहास का एक नया अध्याय है। उनकी यह सफलता करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा है कि अगर समर्पण और मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।


1984 में राकेश शर्मा ने सोयूज़ टी-11 से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। तब से लेकर अब तक भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है, लेकिन इतने वर्षों बाद किसी भारतीय नागरिक का अंतरिक्ष में जाना इस यात्रा को और भी खास बना देता है। शुभांशु शुक्ला अब उस विरासत का हिस्सा हैं जो विज्ञान, साहस और देशभक्ति का प्रतीक है। यह मिशन केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि एक संकल्प है – भारत अब अंतरिक्ष में एक बार फिर से अपने परचम लहराने को तैयार है।

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