दुबई का 'अवर फ्लेक्सिबल समर' - मॉडल बना वर्क-लाइफ बैलेंस

Jitendra Kumar Sinha
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जब दुनिया के कई देश कर्मचारियों से लंबे घंटे काम करवाने पर जोर दे रहा हैं, वही, दुबई ने इसका उलटा कदम उठाकर एक अनोखा उदाहरण पेश किया है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी दुबई ने ‘अवर फ्लेक्सिबल समर 2025’ योजना के तहत कार्यघंटा घटाकर कर्मचारियों की संतुष्टि, उत्पादकता और पारिवारिक जीवन में संतुलन को प्राथमिकता दी है।


यह योजना पहली बार 2024 में दुबई की सरकारी संस्थाओं में लागू की गई थी और इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए अब इसे 2025 में फिर से लागू किया जा रहा है। इस वर्ष 1 जुलाई से 12 सितंबर तक पब्लिक सेक्टर में भी यह योजना लागू रहेगी। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को गर्मियों के दौरान लचीली कार्य व्यवस्था देना है ताकि वे अपने बच्चों और परिवार के साथ अधिक समय बिता सकें।


दुबई सरकार ने पायलट योजना के तहत 21 सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों को दो समूहों में बांटा है। पहला समूह सोमवार से गुरुवार तक 8 घंटा काम करेगा और शुक्रवार को अवकाश रहेगा। दूसरा समूह सोमवार से गुरुवार तक 7 घंटा काम करेगा, जबकि शुक्रवार को केवल 4.5 घंटा ही कार्य करना होगा। इस लचीले मॉडल से कर्मचारियों को न केवल बेहतर मानसिक राहत मिल रहा है, बल्कि वह अधिक ऊर्जावान होकर कार्यस्थल पर प्रदर्शन भी बेहतर कर रहा हैं।


मानव संसाधन विभाग के महानिदेशक अब्दुल अली बिन जाए अल फलासी के अनुसार, योजना के पहले चरण में स्पष्ट रूप से देखा गया है कि कार्यस्थल की संस्कृति में सकारात्मक बदलाव आया है। कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी, संतुष्टि और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। इतना ही नहीं, रिमोट वर्किंग और फ्लेक्सिबल वर्क टाइम को बढ़ावा देने से दुबई की सड़कों पर ट्रैफिक में उल्लेखनीय कमी भी दर्ज की गई है।


‘ईयर ऑफ कम्युनिटी’ अभियान के तहत यह योजना सामाजिक जीवन को भी मजबूती देती है। कामकाजी माता-पिता को बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताने का मौका मिल रहा है, जिससे पारिवारिक रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं।


जहां भारत जैसे देशों में काम के घंटे बढ़ाने की बहस चल रही है, वहीं दुबई का यह प्रयोग यह दर्शाता है कि लंबे काम के घंटे हमेशा अधिक उत्पादन की गारंटी नहीं होता है। बेहतर प्रबंधन और कार्य-संस्कृति से भी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।


‘अवर फ्लेक्सिबल समर’ दुबई की एक दूरदर्शी पहल है, जो आधुनिक कार्यस्थल की जरूरतों और सामाजिक मूल्यों दोनों को संतुलित करती है। यह मॉडल वैश्विक स्तर पर वर्क-लाइफ बैलेंस के प्रति सोच को एक नई दिशा देता है। 


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