बिहार सरकार ने सचिवालय, संलग्न कार्यालयों और निदेशालयों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने वेतन स्तर-14 और उससे ऊपर के अधिकारियों के लिए घरेलू सहायता भत्ते में उल्लेखनीय वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के बाद, इन अधिकारियों को अब हर महीने ₹12,720 का घरेलू सहायता भत्ता मिलेगा। यह नई व्यवस्था 1 अप्रैल, 2025 से पूरे राज्य में प्रभावी हो जायेगा।
यह महत्वपूर्ण निर्णय राज्य सरकार द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और उनके पद की गरिमा के अनुरूप सहायता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। इस कदम से न केवल अधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि घरेलू कार्यों के प्रबंधन के लिए उन्हें एकमुश्त वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।
इस भत्ते की गणना एक तर्कसंगत और पारदर्शी तरीके से की गई है। सरकार ने घरेलू सहायकों के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी दर को इस भत्ते का आधार बनाया है। वर्तमान में, एक अकुशल श्रमिक के लिए ₹424 प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है। इसी दर के आधार पर 30 दिनों के लिए गणना करते हुए, यह राशि ₹12,720 प्रति माह होती है। यह सुनिश्चित करता है कि भत्ता मुद्रास्फीति और श्रम बाजार की वास्तविकताओं के अनुरूप हो।
इस नई घोषणा का लाभ राज्य सचिवालय, इससे जुड़े विभिन्न कार्यालयों और निदेशालयों में कार्यरत उन सभी अधिकारियों को मिलेगा जो वेतन मैट्रिक्स में स्तर-14 या उससे उच्च स्तर पर कार्यरत हैं। इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), बिहार प्रशासनिक सेवा (BAS) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अन्य सेवाओं के समकक्ष अधिकारी भी शामिल हैं जो इन कार्यालयों में महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह भत्ता इन अधिकारियों को उनके वेतन के अतिरिक्त प्रदान किया जाएगा और यह उनके घरेलू कार्यों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण वित्तीय सहयोग होगा।
सरकार का मानना है कि इस तरह की कल्याणकारी योजनाओं से प्रशासनिक दक्षता में भी सुधार होता है। वरिष्ठ अधिकारियों पर काम का बोझ काफी अधिक होता है और उन्हें अक्सर देर तक काम करना पड़ता है। ऐसे में, एक घरेलू सहायक की उपलब्धता उन्हें अपनी आधिकारिक जिम्मेदारियों को बिना किसी घरेलू चिंता के, अधिक प्रभावी ढंग से निभाने में सक्षम बनाती है। यह निर्णय राज्य की प्रशासनिक मशीनरी को और अधिक सुदृढ़ और कुशल बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। कुल मिलाकर, राज्य सरकार का यह फैसला अपने वरिष्ठ अधिकारियों के कल्याण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और उम्मीद है कि इससे राज्य के प्रशासनिक कामकाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
