जहां एक ओर सफलता के लिए संसाधनों की भरमार को जरूरी माना जाता है, वहीं रुद्रप्रयाग के एक युवा ने साबित कर दिया कि अगर जज्बा और मेहनत हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। घोड़े-खच्चर चलाकर पढ़ाई करने वाले अतुल कुमार ने आईआईटी जेएएम-2025 में 649वीं रैंक हासिल कर आईआईटी मद्रास में एमएससी मैथमेटिक्स में दाखिला पाया है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से ताल्लुक रखने वाले अतुल कुमार का परिवार केदारनाथ यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए घोड़े-खच्चर चलाकर जीवन यापन करता है। कठिन भूगोल, सीमित संसाधन और आर्थिक तंगी के बावजूद अतुल ने हार नहीं मानी। दिन में यात्रियों को पहुंचाने के लिए खच्चर चलाना और रात को पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या बन गई थी।
अतुल ने बताया है कि उनके पास ना तो महंगी कोचिंग का सहारा था और ना ही इंटरनेट की निर्बाध सुविधा। "मैंने कई बार मोबाइल टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई की," उनका कहना है कि ऑनलाइन मुफ्त स्टडी मटेरियल और यू-ट्यूब ने उनकी पढ़ाई में अहम भूमिका निभाई है।
आईआईटी जेएएम (Joint Admission Test for MSc) में 649वीं रैंक प्राप्त कर अतुल ने आईआईटी मद्रास में एमएससी गणित में दाखिला पाया है। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड और उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देख रहे हैं।
अतुल के पिता बताते हैं कि "हमने कभी सपने में नहीं सोचा था कि हमारा बेटा आईआईटी में पढ़ेगा।" केदारनाथ की पथरीली राहों पर खच्चर चलाते हुए अतुल के माता-पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए जो समर्पण दिखाया, वही आज रंग लाया है।
अतुल कहता है कि "अगर परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं तो उन्हें कोसने की बजाय उन्हें चुनौती मानकर मेहनत करना चाहिए। किसी भी सपने को पाने के लिए महंगे साधनों की नहीं, सिर्फ सच्ची लगन और निरंतर प्रयास की जरूरत होती है।"
अतुल कुमार की यह कहानी केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि पहाड़ के उन तमाम युवाओं के लिए एक प्रेरक संदेश है कि खच्चर की पीठ से निकलकर भी आइआइटी की सीढ़ी तक पहुंचा जा सकता है।
