भारत ने अपनी सामरिक और तकनीकी ताकत का एक और शानदार प्रदर्शन करते हुए गुरुवार को दो अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइलों “पृथ्वी-2 और अग्नि-1” का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण सामरिक बल कमान (SFC) के तत्वावधान में ओडिशा तट स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया, जहां सभी तकनीकी और परिचालन मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
अग्नि-1 का परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। यह मिसाइल 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है और इसे परमाणु हथियार ले जाने योग्य डिजाइन किया गया है। अग्नि-1 की यह सफलता भारत की रणनीतिक ताकत को और अधिक मजबूत करता है, विशेषकर ऐसे समय में जब क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं।
दूसरी ओर, पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण चांदीपुर स्थित ITR के लॉन्च पैड संख्या-3 से किया गया। यह मिसाइल 350 किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाने में सक्षम है और पारंपरिक एव परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जा सकता है। पृथ्वी-2 को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है और यह भारत की पहली स्वदेशी सतह से सतह पर मार करने वाला मिसाइल है।
इन दोनों मिसाइलों के सफल परीक्षण से स्पष्ट है कि भारत अब आत्मनिर्भरता के रास्ते पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है, खासकर रणनीतिक और सैन्य क्षेत्र में।
रक्षा क्षेत्र में एक और अहम उपलब्धि के तहत हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अपने स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए पहला विंग असेंबली सेट मिल गया है। इस सेट का निर्माण एलएंडटी ने किया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता को दर्शाता है।
रक्षा मंत्रालय अब लगभग ₹67,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 और LCA तेजस MK-1A विमान खरीदने की प्रक्रिया में है। यह सौदा भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
भारत का यह त्रि-आयामी रक्षा प्रदर्शन, मिसाइल परीक्षण, स्वदेशी विमानों के लिए उपकरण निर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता, न केवल सामरिक सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य विश्वसनीयता को भी बढ़ाता है।
अग्नि-1 और पृथ्वी-2 के सफल परीक्षण और तेजस परियोजना में हुई प्रगति भारत के रक्षा भविष्य की मजबूत नींव हैं, जो यह संकेत देता हैं कि भारत अब न केवल अपने सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि तकनीकी नेतृत्व की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।
