बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी - अब - ‘डॉ. मनमोहन सिंह सिटी यूनिवर्सिटी’ होगा

Jitendra Kumar Sinha
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह को एक ऐतिहासिक सम्मान देते हुए कर्नाटक सरकार ने बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ‘डॉ. मनमोहन सिंह सिटी यूनिवर्सिटी’ रखने का फैसला किया है। यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने नंदी हिल्स में की।

यह कदम न केवल डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को श्रद्धांजलि है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रभाव को स्थायी स्मारक के रूप में भी स्थापित करता है। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था। इसके कुछ महीने बाद, मुख्यमंत्री ने 7 मार्च 2025 को अपने बजट भाषण में विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखने की घोषणा की थी, जिसे अब औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है।

डॉ. मनमोहन सिंह देश के ऐसे नेताओं में से एक रहे हैं, जिनकी पहचान उनकी विनम्रता, बौद्धिकता और आर्थिक सुधारों के लिए होती है। वर्ष 1991 में जब भारत आर्थिक संकट की कगार पर था, तब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां अपनाकर देश को नई दिशा दी थी।

प्रधानमंत्री के रूप में 2004 से 2014 तक उन्होंने भारत को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई। शिक्षा, सूचना तकनीक, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना जैसे क्षेत्रों में उनके कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण पहल की गईं थी।

बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी का स्थापना 2017 में बेंगलूरु सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रूप में हुई थी। बाद में वर्ष 2020 में इसका नाम बदलकर बेंगलूरु सिटी यूनिवर्सिटी कर दिया गया। अब यह देश का पहला विश्वविद्यालय होगा जिसे डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर समर्पित किया गया है। यह नाम परिवर्तन न केवल राज्य के लिए गर्व का विषय है, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति में ईमानदारी, समर्पण और ज्ञान की मिसाल रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने 9% की दर से आर्थिक विकास देखा था। शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में उनका झुकाव हमेशा स्पष्ट रहा, ऐसे में विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर करना एक सार्थक और दूरदर्शी निर्णय है।

‘डॉ. मनमोहन सिंह सिटी यूनिवर्सिटी’ के रूप में यह संस्थान अब न केवल शिक्षा का केंद्र रहेगा, बल्कि विचारशीलता, नीतिगत गहराई और राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा भी देगा। यह कदम यह दर्शाता है कि किसी नेता का असली सम्मान उसके विचारों और योगदान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना होता है  और यही इस नामकरण का सार है।



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