भारतवर्ष में शिवभक्ति की परंपरा अत्यंत प्राचीन और भावनात्मक रही है। भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा जाता है, जो संसार के संचालन में संहारक की भूमिका निभाते हैं, लेकिन अपने भक्तों के लिए वे करुणा और प्रेम का साक्षात स्वरूप हैं। शिव को प्रसन्न करना जितना सरल है, उतना ही प्रभावकारी भी। यह विशेषता उन्हें "भोलेनाथ" बनाती है।
इन्हीं गुणों का अद्भुत समागम हमें बिहार राज्य के रोहतास जिला, सासाराम शहर के पास 'श्री बुढ़वा महादेव' नामक दिव्य स्थान पर देखने को मिलता है। यह शिवलिंग जितना प्राचीन है, उतना ही चमत्कारी और लोकप्रिय भी है। सावन महीने में जब शिवभक्ति अपने चरम पर रहती है, तब यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।
बुढ़वा महादेव का स्थान सासाराम शहर से करीब पाँच किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में, माँ ताराचंडी धाम के समीप सोनवागढ़ क्षेत्र में स्थित है। इस स्थान की विशेषता इसकी प्राकृतिक सौंदर्यता में है, जो पहाड़ियों, हरियाली और नदी-नालों के बीच बसी है।
यह शिवलिंग एनएच-2 (नेशनल हाईवे 2) के निकट होने के कारण श्रद्धालुओं को आसानी से सुलभ हो जाता है। सड़क से गुजरने वाले अनेक लोग यहाँ रुककर दर्शन करते हैं, और भक्ति में सराबोर हो जाते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति का केंद्र भी है।
'बुढ़वा' शब्द सुनकर जो पहली छवि बनती है, वह वृद्धावस्था की होती है, लेकिन इस स्थान का 'बुढ़वा' शब्द 'पुरातनता' का प्रतीक है। इसका अर्थ है – अत्यंत प्राचीन, युगों पुराना। यह शिवलिंग इतिहास के गर्भ में सैंकड़ों-हजारों वर्ष पुराना माना जाता है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, यह शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः उत्पन्न) है, जिसे किसी मनुष्य ने नहीं बनाया। यही कारण है कि इसकी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
यहाँ के स्थानीय श्रद्धालुओं और पुरोहितों की मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहाँ शिवलिंग की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि देशभर से भक्त यहाँ आते हैं और भोलेनाथ को जल चढ़ाकर मनोकामना मांगते हैं।
विशेषकर सावन के महीने में यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। भक्त पदयात्रा करते हुए यहाँ पहुँचते हैं और जैसे ही शिवधाम में प्रवेश करते हैं, उनकी थकावट स्वतः दूर हो जाता है। यह चमत्कारिक अनुभव उनके लिए आस्था की संजीवनी बन जाता है।
श्री बुढ़वा महादेव मंदिर का पूरा परिसर लगभग 5 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ की चहारदीवारी और बुनियादी संरचनाओं का निर्माण कुछ प्रशासनिक प्रयासों और बहुत हद तक स्थानीय समिति की मेहनत से संभव हो पाया है।
श्री बुढ़वा महादेव सोनवागढ़ प्राचीन शिव मंदिर न्यास समिति इस क्षेत्र के विकास में निरंतर सक्रिय रहा है। समिति के सचिव विजयकृष्ण अग्रवाल के अनुसार, यहाँ का शिवलिंग अत्यंत विशाल और अनूठा है, जिसकी तुलना भारत के किसी अन्य शिवलिंग से नहीं किया जा सकता है।
बुढ़वा महादेव मंदिर परिसर में जो प्रमुख विकास कार्य अब तक हो चुका हैं, वह हैं चहारदीवारी का निर्माण- तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज दीक्षित के प्रयास से कराया गया है। नाले का निर्माण- पूर्व सांसद छेदी पासवान ने मंदिर परिसर के उत्तर दिशा में करवाया है। लैट्रिन और बाथरूम यूनिट- पूर्व विधायक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने 10 यूनिट निर्माण कराया है। बहुउद्देश्यीय भवन- समिति द्वारा तीन मंजिला भवन तैयार कराया गया है, जहाँ संतों और भक्तों के लिए भोजन निर्माण की सुविधा है। विशाल शेड- सावन में वर्षा और धूप से बचाव के लिए विशेष शेड का निर्माण किया गया है।
श्री बुढ़वा महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं है, गृहस्थ जीवन के शुभारंभ का केंद्र भी है। यहाँ लग्न-मुहूर्त में दूर-दराज़ से लोग विवाह के लिए आते हैं। समिति इन विवाहों की पूरी व्यवस्था करती है, जिसमें भोजन, पूजा और आयोजन सम्मिलित हैं।
इसके अलावा यहाँ रुद्राभिषेक, महा मृत्युंजय जाप, कांवड़ यात्रा, अखंड रामधुन जैसे विविध धार्मिक आयोजन वर्ष भर चलता रहता हैं, जो भक्तों को जोड़ने का माध्यम बनता हैं।
सावन में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं। सोमवार को विशेष भीड़ होती है। कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। स्थानीय दुकानदारों, स्वयंसेवकों और समिति के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका से व्यवस्था बनी रहती है। इसके अतिरिक्त महाशिवरात्रि और श्रावणी पूर्णिमा को भी विशेष पूजन और रात्रि जागरण का आयोजन होता है।
बुढ़वा महादेव केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी एक अद्भुत स्थल है। पहाड़ों की तलहटी, हरे-भरे वृक्ष, शुद्ध वायु और शांत वातावरण इसे एक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाता हैं।
यहाँ पर आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और ईश्वर के सान्निध्य का अनुभव होता है। यही कारण है कि केवल हिन्दू धर्म के अनुयायी ही नहीं, बल्कि जीवन में शांति की खोज करने वाले हर व्यक्ति के लिए यह स्थल एक आकर्षण बन गया है।
विजयकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि समिति धर्मशाला का विस्तार, दर्शनीय जलाशय का निर्माण, शिव आरती के लिए डिजिटल साउंड सिस्टम, मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार, स्थायी रसोई घर, योग और ध्यान केंद्र की स्थापना जैसे योजनाओं पर कार्य कर रही है। इन सबके पीछे एक ही उद्देश्य है, आगामी पीढ़ियों को भी इस दिव्य स्थल से जोड़ना और इसे राष्ट्रीय स्तर का तीर्थ स्थल बनाना।
बुढ़वा महादेव न केवल सासाराम या बिहार का गौरव है, बल्कि यह समस्त भारतवर्ष के शिवभक्तों का एक चमत्कारी और सिद्ध स्थल है। यहाँ आकर प्रत्येक व्यक्ति को आत्मिक संतोष, ऊर्जा और शिव कृपा का अनुभव होता है।
