9 जुलाई 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 कुछ ही क्षणों में एक भयावह हादसे का शिकार हो गई। ‘मेडे... मेडे...’ की पुकार के बाद अगला क्षण मौन में तब्दील हो गया। इस विमान हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आ चुकी है, लेकिन इसके साथ ही कई सवाल भी उड़ान भर रहे हैं।
अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली फ्लाइट AI-171 ने स्थानीय समयानुसार दोपहर 1:39 बजे रनवे 23 से टेकऑफ किया। रिपोर्ट के अनुसार 13:38:42 पर विमान ने 180 नॉट्स की अधिकतम एयरस्पीड प्राप्त की।
इसके तुरंत बाद इंजन-1 का फ्यूल स्विच 'कट-ऑफ' मोड में चला गया। 1 सेकंड बाद, इंजन-2 का फ्यूल सप्लाई भी रुक गया। ईंधन की आपूर्ति बंद होते ही दोनों इंजनों की गति में गिरावट आने लगी। पायलट ने ‘मेडे-मेडे’ संदेश भेजा, लेकिन जब एटीसी ने दोबारा पूछताछ की, तब तक विमान क्रैश हो चुका था। इस हादसे में 112 यात्रियों और 8 क्रू मेंबर्स की मौत हुई।
एयर इंडिया ने कहा है कि वह विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रही है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि “हम इस दुखद समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। हमारी प्राथमिकता पीड़ितों को हरसंभव सहायता प्रदान करना है। चूंकि जांच अभी भी जारी है, हम किसी भी विशेष निष्कर्ष पर टिप्पणी नहीं कर सकते।”
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के मुख्य बिंदु है विमान का मलबा एयरपोर्ट के पास सुरक्षित रखा गया है। दोनों इंजन हटाकर हैंगर में रखे गए हैं। विशिष्ट हिस्सों को आगे जांच के लिए सुरक्षित किया गया है। ईंधन के सैंपल डीजीसीए की प्रयोगशाला में परीक्षण किए गए और मानक अनुसार पाए गए। डेटा रिकॉर्डर (EAFR) का विश्लेषण जारी है। बचे हुए यात्रियों और गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चिकित्सीय और तकनीकी कारणों को जोड़ा जा रहा है। GE GEnx-1B इंजन वाले अन्य विमानों के लिए कोई चेतावनी नहीं जारी की गई है।
रिपोर्ट में जो संकेत सबसे स्पष्ट हैं, वो हैं - इंजन के फ्यूल स्विच का 'कट-ऑफ' मोड में चला जाना। इस स्थिति में दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति रुक गई, जिससे विमान हवा में स्थिर नहीं रह सका।
यह समझना जरूरी है कि ‘कट-ऑफ’ मोड स्वचालित प्रक्रिया नहीं होती, इसे मैनुअली या सिस्टम फेल्योर से एक्टिवेट किया जाता है। ऐसे में कुछ अहम सवाल खड़े होते हैं कि क्या यह पायलट से अनजाने में हुआ मानवीय त्रुटि थी? क्या इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) में तकनीकी खराबी थी? क्या हाल ही में विमान की मरम्मत या रखरखाव हुआ था जिसमें कोई चूक हुई?
एयरलाइन पायलट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPAI) ने रिपोर्ट को एकतरफा और पायलट दोषारोपण के इरादे से प्रेरित बताया है। यूनियन के प्रवक्ता का कहना है कि “बिना अधिकृत हस्ताक्षर के मीडिया में रिपोर्ट का लीक होना गंभीर सवाल खड़ा करता है। अनुभवी पायलटों को जांच टीम में शामिल नहीं किया गया, जिससे निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।”
यूनियन की मांग है कि जांच में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए और प्रक्रिया पारदर्शी एव न्यायसंगत हो।
‘मेडे-मेडे’ शब्द किसी भी पायलट द्वारा सबसे गंभीर संकट के समय भेजा जाता है। यह कॉल संकेत देता है कि विमान या उसमें सवार लोगों की जान को तत्काल खतरा है।
इस केस में जब पायलट ने ‘मेडे’ कॉल दिया और ATC ने जवाब मांगा, तब तक कोई जवाब नहीं आया। यह संकेत देता है कि हादसा बेहद त्वरित और असामान्य था। तकनीकी गड़बड़ी के बाद क्रैश में केवल 14 सेकंड का समय था।
फ्लाइट सिमुलेशन विशेषज्ञों के अनुसार, "यदि दोनों इंजनों का फ्यूल सप्लाई अचानक बंद हो जाए तो 787-8 विमान को लगभग 15 से 20 सेकंड की ग्लाइडिंग विंडो मिलती है। ऐसे में यदि आपातकालीन प्रक्रियाएं तुरंत शुरू की जाएं तो लैंडिंग की संभावना बच सकती है।"
हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, फ्यूल कट-ऑफ के बाद कोई भी सिस्टम चालू नहीं हो पाया, जो दिखाता है कि समस्या अप्रत्याशित थी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स जैसे CNN, BBC और Aviation Herald ने इस मामले को भारत में संस्थागत जांच प्रणाली की चुनौतियों से जोड़कर देखा है।
कुछ विदेशी विश्लेषकों का कहना है कि रिपोर्ट में शुरुआती ही संकेत ‘पायलट त्रुटि’ की ओर झुके हुए हैं, जबकि फ्यूल कटऑफ जैसी स्थिति पायलट के नियंत्रण से बाहर भी हो सकता है।
Boeing 787-8 ड्रीमलाइनर में लगे GE GEnx-1B इंजन का अब तक उच्च प्रदर्शन रिकॉर्ड रहा है। फिर भी, कुछ मामलों में इनमें फ्यूल लाइन सेंसिंग यूनिट्स में फॉल्ट देखे गए हैं, खासकर यदि रखरखाव में ढील हो। यदि इस हादसे में भी ऐसा कुछ हुआ है, तो सवाल विमान की प्री-फ्लाइट चेकलिस्ट और इंजीनियरिंग टीम की दक्षता पर भी उठते हैं।
कई पीड़ित परिवारों ने एयर इंडिया से मुआवज़ा, जिम्मेदारी तय करने और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक यात्री की बेटी कहती है कि “हमारे पिता की जान चली गई। हमें नहीं चाहिए केवल शोक संदेश, हमें चाहिए जवाब।” यह पीड़ा पूरे देश की चेतना को झकझोरने वाली है।
अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा संगठनों जैसे ICAO और IATA के नियमों के अनुसार, दुर्घटनाओं की जांच में पायलट, मेंटेनेंस, एयर ट्रैफिक कंट्रोल सभी पक्षों की भूमिका को निष्पक्षता से जांचा जाना चाहिए। मीडिया लीक से बचा जाना चाहिए क्योंकि इससे निष्पक्षता प्रभावित हो सकता है। पीड़ित परिवारों को संवेदनशीलता और समयबद्ध सहायता दी जानी चाहिए।
यह हादसा विमानन सुरक्षा में सुधार के कई क्षेत्रों की ओर इशारा करता है, इमरजेंसी रेस्पॉन्स टाइम को बेहतर बनाना। रखरखाव प्रोटोकॉल की सख्त निगरानी। जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता और विशेषज्ञों की निष्पक्ष भूमिका। पायलट प्रशिक्षण में ‘फ्यूल फेल्योर’ जैसी स्थितियों की बेहतर सिमुलेशन ट्रेनिंग।
अहमदाबाद विमान हादसे ने केवल एक विमान नहीं गिराया, उसने विश्वास को भी चोट पहुंचाई। जब तक इस दुर्घटना के सभी पहलुओं की निष्पक्ष और सार्वजनिक जांच नहीं होती, तब तक यह केवल एक विमान हादसा नहीं, बल्कि संस्थानिक जवाबदेही की परीक्षा भी बना रहेगा।
