राज्य के सभी निबंधन कार्यालयों में - हाईटेक सीसीटीवी कैमरा से - रखी जाएगी निगरानी - 125 कार्यालयों में ऑनलाइन निगरानी शुरू

Jitendra Kumar Sinha
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ऑनलाइन निगरानी से पुख्ता सुरक्षा: निबंधन कार्यालयों राज्य के निबंधन कार्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व तरीके से मजबूत किया जा रहा है। अब जमीन-जायदाद से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी और गड़बड़ियों पर पूरी तरह से लगाम कसने के लिए सभी जिला और अवर निबंधन कार्यालयों में अत्याधुनिक आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इन कैमरों की मदद से कार्यालयों की 24x7 निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा जारी सूचना के अनुसार, कुल 145 कार्यालयों में कैमरा लगाया जा चुका है, जिनमें से 125 कार्यालयों में कैमरा पूरी तरह ऑनलाइन हो गया है। शेष स्थानों पर कैमरा ऑनलाइन करने की प्रक्रिया तेजी से जारी है। इस पहल के तहत 140 जिला निबंधन कार्यालयों और 9 प्रमंडलीय सहायक निबंधन महानिरीक्षक कार्यालयों को आधुनिक निगरानी तंत्र से जोड़ा जा रहा है।

यह कैमरा इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) आधारित हैं, जिससे इन्हें कहीं से भी रिमोटली मॉनिटर किया जा सकता है। इन कैमरों में हाई रेजोल्यूशन में रिकॉर्डिंग, 24 घंटे लगातार निगरानी और डाटा स्टोरेज, नेटवर्क कनेक्टिविटी के माध्यम से ऑनलाइन फीड और मोशन डिटेक्शन एव अलर्ट सिस्टम, की खूबियां है। सभी कैमरों की निगरानी पटना मुख्यालय और कुम्हरार स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से किया जा रहा है।

पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा, आरा, औरंगाबाद, गोपालगंज, बेतिया, नालंदा, सहरसा, सीवान, समस्तीपुर समेत राज्य के प्रमुख जिला निबंधन कार्यालयों में 18 से 20 कैमरा लगाया जा रहा है। वहीं, अवर निबंधन कार्यालयों में 12 से 14 कैमरे लगाए जा रहे हैं।

सीसीटीवी कैमरा विशेष रूप से अभिलेखागार और कार्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार, अभिलेखागार की खिड़कियाँ, खोज क्षेत्र, एसीसी काउंटर, प्रतीक्षालय क्षेत्र, इजलास और स्कैनिंग क्षेत्र पर लगाया जा रहा है।

सिर्फ तकनीकी निगरानी ही नहीं, सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिए हर जिला निबंधन कार्यालय में पांच और अवर निबंधन कार्यालय में तीन निजी सुरक्षा प्रहरी भी तैनात किया जा रहा है।

राज्य सरकार की यह पहल न केवल कार्यालयों की पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि लोगों के विश्वास को भी मजबूत करेगा। जमीन-जायदाद जैसे संवेदनशील विषयों में गड़बड़ियों को रोकने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। आने वाले समय में यह मॉडल पूरे देश के लिए उदाहरण बन सकता है।



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