भारत विविधताओं का देश है जहां हर राज्य, हर क्षेत्र और हर समुदाय की परंपराएं अपने भीतर एक अनोखी सांस्कृतिक धरोहर समेटे हुए हैं। ऐसी ही एक अद्भुत परंपरा देखने को मिलती है तमिलनाडु के कोरट्टूर स्थित मुथु मरिअम्मन मंदिर में, जहां तमिल माह 'आदि' के दूसरे रविवार को भक्तों को मिर्च के गाढ़े पानी से स्नान कराया जाता है। इस परंपरा के पीछे स्वास्थ्य, श्रद्धा और आध्यात्मिक विश्वास का गहरा मेल छिपा हुआ है।
तमिल पंचांग के अनुसार 'आदि' महीना (जुलाई-अगस्त) को देवी पूजा का विशेष समय माना जाता है। मुथु मरिअम्मन मंदिर में इस माह के दूसरे रविवार को खास अनुष्ठान आयोजित किया जाता है, जिसमें श्रद्धालुओं को लाल मिर्च के पानी से स्नान करवाया जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक तरह की शुद्धिकरण प्रक्रिया भी माना जाता है।
स्थानीय मान्यता है कि मिर्च के पानी से नहाने से शरीर से रोग और नकारात्मक ऊर्जा दूर होता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह स्नान मानसिक और शारीरिक रूप से उन्हें शुद्ध करता है तथा देवी मरिअम्मन की कृपा से बीमारियों से रक्षा करता है।
मंदिर के पुजारी पहले देवी की विशेष पूजा करते हैं और फिर श्रद्धालुओं के लिए मिर्च घोल तैयार करते हैं। यह घोल लाल मिर्च, पानी और कुछ विशेष जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है। श्रद्धालु मंदिर परिसर में कतारबद्ध होकर खड़े होते हैं और पुजारी उन्हें सिर से पांव तक इस गाढ़े मिर्ची जल से स्नान कराते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इतनी तीव्र मिर्ची होते हुए भी भक्त इसे सहन करते हैं और चेहरे पर श्रद्धा की चमक लिए भगवान का आशीर्वाद मानते हैं।
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, लाल मिर्च में ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर के रोम छिद्रों को खोलने, त्वचा की गहराई तक सफाई करने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में सहायक होता है। इसे वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह सिद्ध नहीं किया गया है, परंतु हजारों भक्तों का अनुभव यह कहता है कि इस अनुष्ठान के बाद उन्हें शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव होता है।
यह मिर्ची जल स्नान एक ओर जहां तमिल संस्कृति की जड़ें और धार्मिक विश्वास को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह परंपराएं यह भी सिखाता है कि आस्था और भक्ति के माध्यम से लोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की ओर भी कदम बढ़ाते हैं। तमिलनाडु की यह अनोखी परंपरा आज भी सजीव है और हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इसमें भाग लेकर अपने स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
यह अनुष्ठान सिर्फ मिर्ची से नहाने का धार्मिक क्रियाकलाप नहीं, बल्कि भारत की जीवंत सांस्कृतिक विविधता, लोक विश्वास और चिकित्सा परंपराओं का अनूठा संगम है।
