एआई की नौकरियों पर संकट - टीसीएस अगले साल करेगी 12 हजार कर्मियों की छंटनी

Jitendra Kumar Sinha
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भारत की आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए संकेत दिया हैं कि वह अगले साल करीब 12,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकता है। कंपनी के सीईओ के. कृतिवासन ने कहा है कि भविष्य की जरूरतों और बदलती टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते यह कदम उठाया जा सकता है।

टीसीएस के इस फैसले के पीछे मुख्य वजह है तेजी से बदलती तकनीक और उसमें AI का बढ़ता उपयोग। कंपनी का कहना है कि आज जिस प्रकार की स्किल्स की जरूरत है, वह पारंपरिक आईटी प्रोफेशनल्स में नहीं दिख रही है। इसलिए अब कंपनी अपने वर्कफोर्स को नया रूप देने की दिशा में सोच रही है। इसका मतलब यह है कि कम स्किल्ड या पुरानी तकनीक में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी पर सीधा असर पड़ेगा।

टीसीएस के पास फिलहाल करीब 6 लाख कर्मचारी हैं। दो प्रतिशत छंटनी का मतलब है कि लगभग 12,000 लोगों की नौकरियां खतरे में हैं। यह छटनी एक झटके में नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है। कंपनी इस बीच स्किल डेवलपमेंट और रिस्किलिंग पर भी ध्यान दे रही है, ताकि कुछ कर्मचारियों को नई टेक्नोलॉजी जैसे क्लाउड, एआई, डेटा एनालिटिक्स आदि में प्रशिक्षित किया जा सके।

जहां एक ओर एआई ने उत्पादकता और प्रोसेसिंग में क्रांति ला दी है, वहीं दूसरी ओर मानव श्रम की भूमिका में भारी कटौती हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में केवल वही कर्मचारी टिक पाएंगे जो खुद को बदलती तकनीक के अनुरूप ढाल सकेंगे। टीसीएस का यह कदम एक तरह से पूरे इंडस्ट्री के लिए चेतावनी भी है।

टीसीएस के संभावित छंटनी के ऐलान से आईटी सेक्टर के कर्मचारियों में चिंता की लहर दौड़ गई है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पहले से किसी तरह की तैयारी का मौका नहीं मिला। वहीं यूनियनों और वर्कफोर्स संगठनों ने इसे मानव संसाधन के खिलाफ अन्याय बताया है।

टीसीएस की यह छंटनी एक संकेत है कि आने वाला समय केवल टेक्नोलॉजी का होगा, लेकिन उसमें भी मानव की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। कंपनियों को जहां AI को अपनाने की जरूरत है, वहीं मानव संसाधन का न्यायोचित प्रबंधन भी आवश्यक है। आने वाला साल भारतीय आईटी जगत के लिए नए अवसरों और नई चुनौतियों से भरपूर रहेगा।



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