सरकारी कार्यालयों का होगा “साइबर ऑडिट*

Jitendra Kumar Sinha
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आज के डिजिटल युग में जहां हर काम एक क्लिक पर हो रहा है, वहीं एक खतरा भी है जो अदृश्य रूप से हमारे आसपास मंडरा रहा है  “साइबर हमला”। आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े सरकारी संस्थान तक, कोई भी इससे अछूता नहीं है। जिस तेजी से हम तकनीक को अपना रहे हैं, उसी तेजी से साइबर अपराधी भी हमारे जीवन में सेंध लगाने के नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं। हाल के दिनों में सरकारी वेबसाइटों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर बढ़े साइबर हमलों ने खतरे की घंटी बजा दी है। इसी गंभीर चुनौती से निपटने के लिए अब राज्य सरकार ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश के सभी सरकारी महकमों और उनके प्रतिष्ठानों का व्यापक साइबर ऑडिट कराया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकारी कामकाज और आम जनता का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है।

सरकारी वेबसाइट पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी दर्ज करते हैं, किसी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करते हैं या कोई ऑनलाइन भुगतान करते हैं। भरोसा होता है कि जानकारी सुरक्षित है। लेकिन हाल के वर्षों में, प्रदेश में साइबर अपराध की घटनाओं में विस्फोटक वृद्धि हुई है। साइबर ठगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अब सरकारी तंत्र को भी सीधे तौर पर निशाना बना रहे हैं। देश के प्रतिष्ठित संस्थान एम्स (AIIMS) पर हुआ विनाशकारी साइबर हमला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां हैकरों ने पूरे सिस्टम को ठप कर दिया था और स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। इसी तरह, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं, आपातकालीन सेवा डायल 112, और यहां तक कि जल वितरण जैसी आवश्यक लोक सेवाओं से जुड़ी वेबसाइटों पर भी साइबर हमले हो चुके हैं। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकारी तंत्र की साइबर सुरक्षा में जरा भी ढिलाई बरती गई, तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं। इससे न केवल सरकारी कामकाज बाधित होता है, बल्कि आम नागरिकों की गोपनीय जानकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगता है। इन्हीं खतरों को भांपते हुए साइबर ऑडिट की कवायद को तत्काल शुरू करने की आवश्यकता महसूस की गई।

साइबर ऑडिट एक तरह से डिजिटल दुनिया की डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित रखने के लिए साइबर ऑडिट जरूरी है। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञ यह जांचते हैं कि किसी वेबसाइट, नेटवर्क या ऑनलाइन सिस्टम में कोई ऐसी कमजोरी तो नहीं है, जिसका फायदा उठाकर हैकर उसमें घुसपैठ कर सके।

इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए राज्य सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया है। EOU इस पूरे अभियान का नेतृत्व करेगी, लेकिन इस जटिल और तकनीकी कार्य में उसे राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ एजेंसियों का सहयोग मिलेगा। इनमें प्रमुख हैं - “सी-डैक (C-DAC - सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग)” यह भारत की एक प्रमुख अनुसंधान और विकास संस्था है जो एडवांस कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखती है। सी-डैक के विशेषज्ञ सरकारी वेबसाइटों और नेटवर्कों की गहन तकनीकी जांच करेंगे। “आई4सी (I4C - इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर)” गृह मंत्रालय के तहत स्थापित यह केंद्र देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए एक समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करता है। आई4सी नवीनतम साइबर खतरों, हैकिंग के पैटर्न और उनसे बचाव के तरीकों पर अपनी विशेषज्ञता साझा करेगा।

इन संस्थानों के विशेषज्ञ मिलकर एक व्यापक रणनीति के तहत सभी सरकारी कार्यालयों और प्रतिष्ठानों की साइबर सुरक्षा की परत-दर-परत जांच करेंगे। इस जांच में वेबसाइट के कोड, सर्वर की कॉन्फ़िगरेशन, डेटाबेस की सुरक्षा, ऑनलाइन लेनदेन की प्रक्रिया और कर्मचारियों द्वारा अपनाए जाने वाले सुरक्षा प्रोटोकॉल (साइबर हाइजिन) जैसे हर पहलू को बारीकी से परखा जाएगा। ऑडिट के दौरान जहां भी कोई कमी, खामी या कमजोरी पाई जाएगी, उसे तुरंत दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे।

अक्सर देखा गया है कि बड़े-से-बड़े साइबर हमले किसी तकनीकी खामी के कारण नहीं, बल्कि एक छोटी-सी मानवीय भूल के कारण सफल होते हैं। इसी को साइबर हाइजिन की कमी कहते हैं। आसान शब्दों में, साइबर हाइजिन का मतलब है इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां। जैसे- मजबूत और यूनिक पासवर्ड का उपयोग करना।किसी भी अज्ञात या संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करना। अपने कंप्यूटर और मोबाइल में एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर को अपडेटेड रखना। सरकारी या व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय वेबसाइट के URL में 'https://' जरूर जांचना। पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करते समय ऑनलाइन बैंकिंग या संवेदनशील लेनदेन से बचना।

साइबर ऑडिट के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सरकारी विभागों के कर्मचारी इन बुनियादी साइबर हाइजिन के नियमों का सख्ती से पालन करें। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे अनजाने में किसी साइबर हमले का शिकार न बनें और पूरे सिस्टम के लिए खतरा पैदा न करें।

यह साइबर ऑडिट केवल एक बार की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया की शुरुआत है। जिस तरह साइबर अपराधी लगातार अपने तरीके बदल रहे हैं, उसी तरह हमें भी अपनी सुरक्षा प्रणालियों को लगातार अपडेट और अपग्रेड करते रहना होगा।

इस अभियान का उद्देश्य केवल मौजूदा कमजोरियों को दूर करना नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत और अभेद्य साइबर सुरक्षा कवच तैयार करना है। जब हमारे सरकारी महकमे साइबर रूप से सुरक्षित होंगे, तो वे जनता को बेहतर और अधिक सुरक्षित ऑनलाइन सेवाएं प्रदान कर पाएंगे। इससे न केवल सरकारी तंत्र में लोगों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि यह प्रदेश के डिजिटल विकास की नींव को भी मजबूती प्रदान करेगा।

साइबर अपराध आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। साइबर गिरोहों के बड़े-बड़े नेक्सस सामने आ रहे हैं जो संगठित तरीके से काम कर रहे हैं। इन सभी की पहचान कर उनके खिलाफ तेजी से और सख्त कार्रवाई करना सरकार की प्राथमिकता है। सभी सरकारी विभागों का यह साइबर ऑडिट इसी दिशा में एक निर्णायक कदम है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि डिजिटल इंडिया की राह में साइबर अपराध कोई रोड़ा न बन सके और हमारा प्रदेश एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य की ओर अग्रसर हो।



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