विदेशों में बेहतर जीवन, रोजगार और शिक्षा की चाह लिए हजारों भारतीय हर वर्ष अमेरिका की ओर रुख करते हैं। लेकिन इस सपने को साकार करने की कोशिश में कई लोग अवैध तरीकों से अमेरिका पहुंचते हैं और कानून के शिकंजे में फंस जाते हैं। इसी क्रम में 2025 की शुरुआत से अब तक अमेरिका ने कुल 1,563 भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर भारत वापस भेज दिया है।
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस वार्ता में इस बात की जानकारी दी कि वर्ष 2025 की जनवरी से लेकर जुलाई के मध्य तक अमेरिका ने इन 1,563 नागरिकों को निर्वासित किया है। इनमें से अधिकांश को व्यावसायिक उड़ानों से भारत लाया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले सप्ताह ही एक बड़ा समूह अमेरिका से वापस आया है। सरकार इस विषय को गंभीरता से ले रही है और भारतीय मिशनों को निर्देश दिए गए हैं कि वे निर्वासित व्यक्तियों को हरसंभव सहायता प्रदान करें।
इन निर्वासनों के पीछे प्रमुख कारण हैं, अवैध प्रवेश या ठहराव, वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी ठहरना, दस्तावेजों में गड़बड़ी, आव्रजन नियमों का उल्लंघन। विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के वर्षों में अमेरिका में आप्रवासन कानूनों की सख्ती और सुरक्षा जांच में बढ़ोतरी के चलते ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है।
कई भारतीय युवा "डंकी रूट" यानि अवैध और खतरनाक मार्गों के जरिये अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। यह मार्ग मध्य और दक्षिण अमेरिका के देशों से होकर गुजरता है, जिसमें हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा, जंगलों और नदियों को पार करना और मानव तस्करों की मदद लेना शामिल है। इस दौरान कई लोगों की जान भी चली जाती है या वे अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पकड़े जाते हैं।
भारत सरकार ने कई बार चेतावनी दी है कि नागरिक कानूनी और वैध मार्गों से ही विदेश यात्रा करें। विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और भारतीय दूतावास इन मामलों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। साथ ही, सरकार विभिन्न देशों के साथ सहयोग कर रही है ताकि इस तरह की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि निर्वासित नागरिकों को कानूनी सहायता, स्वास्थ्य सुविधा और पुनर्वास की सुविधा मिले। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं।
अमेरिका से आए इन आंकड़ों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अवैध तरीके से विदेश जाने की कोशिश अंततः असफलता और अपमान की ओर ही ले जाती है। यह न केवल व्यक्ति के लिए, बल्कि देश की छवि के लिए भी नुकसानदायक है।
