दुनियाभर में तेजी से फैलती एक आम लेकिन खतरनाक बीमारी है टाइप 2 डायबिटीज। भारत जैसे देश में यह “धीमा जानलेवा रोग” बन चुका है। इसके इलाज के लिए लाखों लोग रोज दवाएं लेते हैं, लेकिन अगर वही दवा सालों से खा रहे हैं, तो दिल के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हाल ही में अमेरिका के एक शोध में ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह अध्ययन 'ग्लिपिजाइड' नामक दवा पर केंद्रित है, जो टाइप 2 डायबिटीज़ के इलाज में बेहद आम और सस्ती दवा माना जाता है।
'ग्लिपिजाइड' सल्फोनीलयूरिया वर्ग की दवा है, जिसका उपयोग टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह दवा अग्न्याशय (Pancreas) को अधिक इंसुलिन बनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे शरीर में शर्करा का स्तर कम हो जाता है। लेकिन अब सामने आई रिपोर्ट कहता है कि यही दवा हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है।
यह शोध अमेरिका के मशहूर मास जनरल ब्रिघम अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। इसमें 48,165 टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीजों के पांच साल के मेडिकल डेटा का विश्लेषण किया गया, जो या तो सल्फोनीलयूरिया (Glipizide, Glimepiride, Glyburide) दवाएं ले रहे थे या DPP-4 इनहिबिटर जैसी नई दवाएं। 'ग्लिपिजाइड' लेने वालों में 13% अधिक दिल की बीमारी होने का खतरा पाया गया। DPP-4 इनहिबिटर (जैसे Sitagliptin) के मुकाबले यह खतरा स्पष्ट रूप से अधिक था। ग्लाइमेपिराइड और ग्लाइब्यूराइड जैसी अन्य सल्फोनीलयूरिया दवाओं के परिणाम इतने स्पष्ट नहीं थे। जिन मरीजों को मध्यम हृदय जोखिम था, उनमें यह असर और भी अधिक दिखा।
DPP-4 Inhibitors (जैसे Sitagliptin, Saxagliptin आदि) एक नई श्रेणी की दवाएं हैं, जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने के साथ-साथ दिल के लिए अधिक सुरक्षित माना जाता है। यह दवा शरीर में GLP-1 हार्मोन को सक्रिय करता है, जो इंसुलिन के स्तर को बढ़ाकर ब्लड शुगर कम करता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि DPP-4 इनहिबिटर दवाएं दिल को कम नुकसान पहुंचाती हैं, और यही कारण है कि इन्हें हृदय रोग के मरीजों के लिए बेहतर विकल्प माना जा रहा है।
भारत में 10 करोड़ से अधिक डायबिटीज मरीज हैं (IDF Diabetes Atlas, 2023), इनमें से लगभग 90% को टाइप 2 डायबिटीज है। भारत में 60% से अधिक मरीज ग्लिपिजाइड जैसी सस्ती दवाओं पर निर्भर हैं। जब इतनी बड़ी आबादी एक ही दवा पर निर्भर हो और वही दवा दिल के लिए हानिकारक साबित हो, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन जाता है।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. अलेक्जेंडर टर्चिन ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा है कि, “सल्फोनीलयूरिया दवाएं सस्ती और लोकप्रिय हैं, लेकिन उनके दीर्घकालिक हृदय प्रभावों पर और गहराई से अध्ययन करना चाहिए।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि डॉक्टरों को मरीजों के लिए दवा चुनते समय उनके दिल की सेहत को भी प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि केवल कीमत या ब्लड शुगर कंट्रोल को।
'ग्लिपिजाइड' हृदय पर कैसे बुरा असर डालती है, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारण हो सकते हैं। हाइपोग्लाइसीमिया (कम शुगर स्तर) की स्थिति उत्पन्न करना, जिससे दिल को झटका लग सकता है। वजन बढ़ाना, जो खुद ही दिल की बीमारियों को बढ़ावा देता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, जिससे दिल की कोशिकाएं कमजोर हो सकता है। कुछ अध्ययनों में यह भी बताया गया कि यह सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को एक्टिवेट कर सकता है, जो हृदय गति और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है।
यदि ग्लिपिजाइड या अन्य सल्फोनीलयूरिया दवाएं ले रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ कदम जरूरी हैं। अपने डॉक्टर से परामर्श करें और बिना परामर्श के दवा न बंद करें। अपने हृदय स्वास्थ्य की जांच नियमित रूप से कराएं। यदि पहले से दिल की बीमारी है या परिवार में इसका इतिहास है, तो डॉक्टर से दवा बदलने पर चर्चा करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं योग, प्राणायाम, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें।
भारत जैसे देश में जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और दवा की कीमतें सबसे अहम कारक हैं, वहां नीतिगत बदलाव आवश्यक हैं। सरकार को चाहिए कि सस्ती लेकिन सुरक्षित दवाओं को सब्सिडी में शामिल करे। जन-जागरूकता अभियान चलाए, जिससे मरीजों को सही जानकारी मिल सके। डॉक्टरों को अपडेटेड ट्रेनिंग दे ताकि वे नए शोधों के अनुसार इलाज करें। DPP-4 इनहिबिटर जैसी दवाओं को जन औषधि केंद्रों में उपलब्ध कराया जाए।
डायबिटीज के लिए अब कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ हैं Metformin- पहली पंक्ति की दवा, सुरक्षित और कारगर। DPP-4 Inhibitors- दिल के लिए सुरक्षित विकल्प। SGLT2 Inhibitors- वजन घटाने और हृदय सुरक्षा में सहायक। GLP-1 Receptor Agonists- नई और प्रभावी श्रेणी, लेकिन महंगी। इंसुलिन इंजेक्शन- जब अन्य दवाएं विफल हो जाएं।
यह शोध एक चेतावनी है कि हर सस्ती दवा सुरक्षित नहीं होती। 'ग्लिपिजाइड' जैसी दवाओं के दीर्घकालिक प्रभावों की अनदेखी नहीं किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को यह समझना होगा कि इलाज सिर्फ ब्लड शुगर कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शरीर की सुरक्षा, विशेषकर दिल की सेहत, का ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है।
