नयी सोच, नया संदेश और समाज को झकझोरने वाली कहानी लेकर आ रही है वर्ष 2025 के अंतिम माह में रिलीज होने वाली फिल्म "जागृति स्पीकअप"। यह फिल्म न केवल मनोरंजन है, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन जैसी प्रतीत होती है, जो बलात्कार की घटनाओं पर प्रहार करती है और महिला सशक्तिकरण की अलख जगाती है।
फिल्म के लेखक और मुख्य अभिनेता पुष्कर शर्मा, बिहार के नालंदा जिले के कुरथा गांव के निवासी हैं। रंगमंच से करियर की शुरुआत करने वाले पुष्कर अब सिनेमा के माध्यम से समाज में बदलाव की उम्मीद लिए सामने आए हैं। उन्होंने इस फिल्म की कहानी स्वयं लिखी है और साथ ही राजवीर मल्लिक नामक अहम किरदार को पर्दे पर जीवंत किया है।
"जागृति स्पीकअप" फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह उन हजारों महिलाओं की आवाज है, जो हर दिन यौन हिंसा, उत्पीड़न और सामाजिक असमानता का शिकार होती हैं। पुष्कर कहते हैं, "हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ किसी महिला को 14 सेकंड तक देखना अपराध माना जाता है और इसके लिए कानून में सजा का प्रावधान है, फिर भी निर्भया जैसी घटनाएं बार-बार सामने आती हैं।"
यह फिल्म उन घटनाओं को उजागर करती है जो अखबार की सुर्खियों से परे, समाज के उस अंधेरे कोने में पनपती हैं जहाँ न्याय की रोशनी अक्सर नहीं पहुंचती। फिल्म एक पीड़िता की कहानी नहीं है, बल्कि उसके संघर्ष, प्रतिरोध और अंततः उसकी आवाज बनने की यात्रा है।
पुष्कर शर्मा का कहना है कि फिल्म का उद्देश्य नयी पीढ़ी को इस मुद्दे से जोड़ना है ताकि उनके सोच में बदलाव आए और वे महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनें। "जागृति स्पीकअप" न केवल समस्याओं का चित्रण करती है, बल्कि दृढ़ता, प्रतिरोध और न्याय का संदेश भी देती है। यही वजह है कि फिल्म को सरकार से टैक्स फ्री करने की मांग की जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोग इसे देख सकें।
आज जब फिल्में केवल ग्लैमर और एक्शन तक सीमित रह गई हैं, "जागृति स्पीकअप" एक ऐसी फिल्म है जो सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी को दोबारा परिभाषित करती है। यह फिल्म उस हर लड़की की आवाज है जो चुप रही, उस हर मां की आशा है जो अपनी बेटी को सुरक्षित देखना चाहती है, और उस हर समाज की आत्मा है जो बदलाव के लिए तैयार है।
"जागृति स्पीकअप" केवल एक फिल्म नहीं है, एक जागरूकता अभियान है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। 2025 के अंत में रिलीज होने वाली यह फिल्म भारतीय सिनेमा में सामाजिक चेतना की नई मिसाल पेश करेगी।
