वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी प्रबंधन - वंचितों को सशक्त बनाने की दिशा में पहल

Jitendra Kumar Sinha
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भारत सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी नए वक्फ कानून के अंतर्गत 4 जुलाई 2025 को 'एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास नियम, 2025' (IWMEED Rules, 2025) अधिसूचित कर दिया है। यह कदम वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन, राजस्व उपयोग में पारदर्शिता और समाज के जरूरतमंद वर्गों के सशक्तीकरण के उद्देश्य से उठाया गया है। इस पहल के तहत विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों को वक्फ आय का सीधा लाभ उनके बैंक खाते में दिया जाएगा। यह बदलाव न केवल धार्मिक-आर्थिक न्याय की भावना को आगे बढ़ाता है, बल्कि वक्फ की लावारिस संपत्तियों के कुशल उपयोग और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रबंधन की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।

वक्फ एक इस्लामिक संस्था है जिसमें कोई मुसलमान अपनी संपत्ति (भूमि, भवन, दुकान, आदि) को धार्मिक, परोपकारी या पारिवारिक उपयोग के लिए दान करता है। वक्फ दो प्रकार के होते हैं। एक है वक्फ लिल्लाह (Waqf Lillah)- जिसमें संपत्ति समाज, मस्जिद, कब्रिस्तान, स्कूल, अस्पताल आदि के लिए दिया जाता है। दूसरा है वक्फ अलल औलाद (Waqf alal Aulad)- जब संपत्ति दाता अपने वंशजों- बच्चों, नाती-नातिनों आदि  के भरण-पोषण के लिए वक्फ करता है।

वक्फ संपत्ति का प्रशासन वक्फ बोर्ड और मुतवल्ली (प्रबंधक) के माध्यम से होता है। भारत में वक्फ अधिनियम 1995 (संशोधित 2013) के तहत राज्य व केंद्र वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। अब नया संशोधित अधिनियम 2025 इसमें कई ठोस परिवर्तन लाया गया है।

संशोधित अधिनियम 2025 में हर वक्फ संपत्ति को अब एक यूनिक वक्फ आइडेंटिफिकेशन नंबर (UWID) मिलेगा। इससे सभी वक्फ संपत्तियों की निगरानी, ट्रैकिंग और पारदर्शी लेखांकन संभव होगा। सभी वक्फ संपत्तियों और मुतवल्लियों को ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। पंजीकरण OTP आधारित मोबाइल और ई-मेल प्रमाणीकरण से किया जाएगा। इसके बाद ही संपत्ति का विवरण अपलोड किया जा सकेगा। नए वक्फ जो 8 अप्रैल 2025 के बाद बनाए गए हैं, उन्हें तीन महीने के भीतर वक्फ बोर्ड के समक्ष पंजीकरण कराना होगा। बिना पंजीकरण संपत्तियों को गैरकानूनी घोषित किया जा सकता है। वक्फ अलल औलाद संपत्तियों में अगर कोई उत्तराधिकारी नहीं बचा हो यानि वह लावारिस हो जाएं, तो उनकी आय अब विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों के हित में उपयोग किया जाएगा। यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाता में भेजा जाएगा। इसके लिए फॉर्म-1, फॉर्म-2 और फॉर्म-3 का प्रावधान किया गया है।

यह नियम समाज में वंचित और उपेक्षित वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। खासकर मुसलमानों में विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक होती है। ऐसे में वक्फ संपत्तियों से उन्हें लाभ देना कुरआनी न्याय की भावना के अनुरूप भी है। उदाहरण के लिए पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में एक लावारिस वक्फ संपत्ति वर्षों से बंद पड़ी थी। अब उसका किराया स्थानीय गरीब महिलाओं को मिलेगा। दिल्ली के बवाना इलाके में ऐसी ही संपत्ति से 10 अनाथ बच्चों की स्कूल फीस भरी जाएगी।

नियम के अनुसार, जिला कलक्टर की सिफारिश पर गलत वक्फ घोषणा की जांच 1 साल में पूरी करनी होगी। उसके बाद राज्य सरकार को 90 दिनों में औकाफ सूची को गजट में प्रकाशित कर पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। इसमें वक्फ की सीमाएं, उद्देश्य, उपयोगकर्ता, और मुतवल्ली का विवरण शामिल होगा। अब प्रत्येक वक्फ को वार्षिक लेखा परीक्षण (Audit) कराना होगा। वक्फ संपत्तियों की किराया वसूली, नवीनीकरण, रखरखाव की जानकारी सार्वजनिक पोर्टल पर होगी।

वर्तमान में वक्फ कानून 2025 की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला लंबित है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि "जब तक फैसला नहीं आता, तब तक वक्फ बाय यूजर और वक्फ परिषद की नियुक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।" यह अंतरिम व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता है।

नया नियम से भ्रष्टाचार, अपारदर्शिता, अनियमित नियुक्ति, उद्देश्य विचलन जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है, क्योंकि नया नियम से डिजिटल ऑडिट, लाभार्थियों को सीधा भुगतान, पोर्टल आधारित सार्वजनिक सूचना प्रणाली, OTP आधारित प्रमाणीकरण व पंजीकरण, विधवाओं, तलाकशुदा व अनाथों को लाभ मिलेगा।

वक्फ अब केवल धार्मिक भावना का नहीं, बल्कि विकास एव सामाजिक सशक्तीकरण का माध्यम बन रहा है। जब वक्फ संपत्तियों से अनाथों की शिक्षा, विधवाओं का पालन-पोषण, अस्पतालों का निर्माण और सामाजिक सहायता सुनिश्चित होगी,  तब वक्फ समाज की रीढ़ बन सकता है।

कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस नियम को केंद्र सरकार की ओर से वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप बताया है। उनके अनुसार, केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों के 'मालिक' की तरह हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले नियम जारी करना अनुचित है। जबकि सरकार का पक्ष है कि नियम केवल व्यवस्थात्मक ढांचा स्पष्ट करने के लिए है। अधिनियम 2025 संसद से पारित हो चुका है, अब इसे लागू करना प्रशासनिक जिम्मेदारी है। गरीबों को सीधा लाभ देने की व्यवस्था किसी भी सूरत में अनुचित नहीं है।

वक्फ नियम 2025 न केवल वंचितों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में पहल है, बल्कि वक्फ संपत्तियों की भविष्य की दशा और दिशा को तय करने वाला भी है। पारदर्शिता, डिजिटल ट्रैकिंग और लाभार्थी केंद्रित मॉडल से यह एक आधुनिक मुस्लिम समाज के निर्माण की आधारशिला बन सकता है। अब यह जिम्मेदारी मुस्लिम समाज, मुतवल्लियों, वक्फ बोर्डों और राज्य सरकारों की है कि इस अवसर का सदुपयोग कर भारत में वक्फ की भावना को वास्तविक न्याय और कल्याण के रूप में रूपांतरित करें।



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