समुद्र की गहराइयों में छिपा एक ऐसा जीव जो किसी जादूगर से कम नहीं है, वह है- “मिमिक ऑक्टोपस”। यह जीव न सिर्फ अपने शरीर का रंग बदल सकता है, बल्कि किसी भी दूसरे समुद्री जीव की हूबहू नकल कर लेता है। इसे देखकर किसी को भी भ्रम हो सकता है कि वह सांप है, मछली है या कोई जेलीफिश। पहली बार 1998 में इंडोनेशिया के समुद्र में पाए जाने के बाद से यह वैज्ञानिकों और नेचर लवर्स के लिए रहस्य और शोध का विषय बना हुआ है।
“मिमिक ऑक्टोपस” का वैज्ञानिक नाम Thaumoctopus mimicus है। इसकी लंबाई लगभग 60 से 70 सेंटीमीटर तक होता है। इसका शरीर अत्यंत लचीला होता है और यह बहुत तेजी से अपना आकार, रंग और गति बदल सकता है। इसके शरीर पर विशेष प्रकार के त्वचा होता है जो वातावरण के अनुसार, रंग बदल लेता है, जिससे यह खुद को शिकारी जानवरों से छिपा सकता है।
“मिमिक ऑक्टोपस” की सबसे बड़ी खासियत उसकी मिमिक्री क्षमता है। इसे अब तक 15 से अधिक समुद्री जीवों की नकल करते हुए देखा गया है। जब यह किसी खतरे को महसूस करता है, तो यह जहरीले समुद्री सांप की तरह अपने शरीर को दो हिस्सों में बांटकर लहराता है। लायन फिश की तरह अपने शरीर को फैलाकर डराने की मुद्रा में आ जाता है। जेलीफिश की तरह धीमी गति से तैरने लगता है। रे फिश की तरह समुद्र की तलहटी में रेंगता है और फ्लैटफिश की तरह खुद को बालू में छिपा लेता है। यह सारी नकल वह इतनी कुशलता से करता है कि सामने वाला जीव भ्रमित हो जाता है और अक्सर उसे छोड़कर चला जाता है।
जहाँ कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि “मिमिक ऑक्टोपस” यह सारी हरकतें केवल रक्षा के लिए करता है, वहीं कुछ शोधकर्ता कहते हैं कि यह नकल का उपयोग शिकार को धोखा देने के लिए भी करता है। उदाहरण के लिए, जब यह फ्लैटफिश बनता है, तब यह बालू में छिपकर अपने शिकार के करीब पहुँच जाता है।
यह ऑक्टोपस मुख्यतः इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपीस के उष्णकटिबंधीय समुद्रों में पाया जाता है। यह अमूमन समुद्र की तलहटी पर रहता है जहाँ रेत और बालू अधिक होते हैं ताकि वह आसानी से खुद को छिपा सके।
“मिमिक ऑक्टोपस” सिर्फ एक जीव नहीं है, बल्कि प्रकृति की अद्भुत रचना है। इसकी नकल करने की क्षमता न केवल जीवित रहने का साधन है बल्कि यह दर्शाता है कि प्रकृति किस हद तक अनुकूलन और बुद्धिमत्ता को विकसित कर सकता है। यह जीव सिखाता है कि खतरे से निपटने के लिए ताकत से अधिक बुद्धि की जरूरत होता है।
