दक्षिण अमेरिका के एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण देश सूरीनाम ने 2025 में इतिहास रच दिया है। देश की संसद ने पहली बार एक महिला राष्ट्रपति का चुनाव किया है। डॉ. जेनिफर गेलिंग्स सिमंस को दो-तिहाई बहुमत के साथ सूरीनाम की पहली महिला राष्ट्रपति चुना गया है। वे 16 जुलाई को शपथ लेगी और देश की सर्वोच्च संवैधानिक जिम्मेदारी संभालेंगी। यह केवल सूरीनाम के लिए नहीं है, बल्कि लैंगिक समानता के वैश्विक आंदोलन के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
सूरीनाम लंबे समय से सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों से जूझता रहा है। देश में आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और जनविश्वास की कमी जैसे कई मुद्दे सरकारों के लिए चुनौती बन रहा हैं। ऐसे समय में डॉ. जेनिफर गेलिंग्स सिमंस का राष्ट्रपति बनना देश के लिए नई आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। उनकी जीत ने यह संदेश दिया है कि देश अब बदलाव चाहता है और यह बदलाव महिला नेतृत्व के जरिए भी संभव है।
डॉ. जेनिफर गेलिंग्स सिमंस सिर्फ एक नेता ही नहीं, एक प्रशिक्षित चिकित्सक और समाजसेवी भी हैं। उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में लंबा समय काम किया है और महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से प्रयास किया है। राजनीति में आने के बाद उन्होंने जनस्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर लगातार काम किया है। उनका साफ-सुथरा छवि और मजबूत नेतृत्व क्षमता ही उन्हें इस मुकाम तक ले आई।
सूरीनाम की संसद ने दो-तिहाई बहुमत से उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए चुना है। इस तरह के स्पष्ट जनसमर्थन से यह स्पष्ट है कि देश की जनता और प्रतिनिधि वर्ग उनसे बहुत अपेक्षाएं रखते हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि उनकी कार्यशैली पारदर्शिता और समावेशिता पर आधारित रहेगी।
डॉ. जेनिफर के चुनाव की खबर पर दुनिया भर से बधाइयों की ताता लगा हुआ है। महिला नेताओं की सूची में उनका नाम अब एंजेला मर्केल, जैसिंडा अर्डर्न और द्रौपदी मुर्मू जैसी हस्तियों के साथ जुड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
अब जबकि डॉ. जेनिफर सिमंस 16 जुलाई को शपथ लेने जा रही हैं, उनकी सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, रोजगार बढ़ाने, और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने जैसी बड़ी चुनौतियाँ होगी। लेकिन जनता को उम्मीद है कि एक डॉक्टर की तरह वे देश के ‘बीमार तंत्र’ की सही सर्जरी कर सकेगी।
डॉ. जेनिफर गेलिंग्स सिमंस का राष्ट्रपति बनना न केवल सूरीनाम की राजनीति का नया अध्याय है, बल्कि यह विश्वभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा है। यह संदेश है कि नेतृत्व का कोई लिंग नहीं होता है केवल संकल्प और सेवा का भाव चाहिए।
