पर्वतों की गोद में बसा संग्रहालय - “एमएमएम कोरोनेस”

Jitendra Kumar Sinha
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इटली के दक्षिण टिरोल की ऊँचाईयों में बसा है एक अनोखा म्यूजियम “एमएमएम कोरोनेस (Messner Mountain Museum Corones)”, यह केवल पत्थरों और कांच की एक इमारत नहीं है, बल्कि यह इंसान और पर्वतों के बीच के संबंध की कहानी बयाँ करता एक जीवंत अनुभव है। यह संग्रहालय विश्व प्रसिद्ध पर्वतारोही रेनहोल्ड मेस्नर के दृष्टिकोण और दिग्गज वास्तुकार जाहा हदीद की कल्पनाशक्ति का अद्वितीय संगम है।

एमएमएम कोरोनेस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह मानो स्वयं पहाड़ की चट्टानों से जन्मा हो। यह संरचना दक्षिण टिरोल की क्रॉनप्लैट (Kronplatz) चोटी पर समुद्र तल से करीब 2,275 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका अधिकतर भाग पहाड़ी की चट्टानों में समाया हुआ है, केवल एक छोटा सा हिस्सा, एक कैन्टिलीवर प्लेटफॉर्म,  बाहर की ओर निकला हुआ है, जो घाटियों और दूर-दूर तक फैले डोलोमाइट्स के नजारे प्रस्तुत करता है। इस प्लेटफॉर्म पर खड़ा होने पर महसूस होता है जैसे पर्वतों के साथ एकाकार हो गया हो,  यह एक रोमांचक और आत्मा को छू लेने वाला अनुभव है।

रेनहोल्ड मेस्नर, जिन्हें ‘पर्वतों का दार्शनिक’ भी कहा जाता है, ने अपने जीवन को पर्वतों के अध्ययन, उनके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने में समर्पित किया है। एमएमएम कोरोनेस, मेस्नर द्वारा शुरू किया गया Messner Mountain Museum Series का छठा और अंतिम संग्रहालय है। यह विशेष रूप से पर्वतारोहण, इंसानी साहस, संघर्ष और प्रकृति से गहरे रिश्ते को दर्शाने के लिए बनाया गया है।

म्यूजियम के अंदर जाकर कोई साधारण गैलरी नहीं पाते हैं बल्कि यह एक यात्रा है, समय और साहस के बीच। यहां पर्वतारोहण के ऐतिहासिक उपकरण, महान पर्वतारोहियों की कहानियां, हिमालय जैसे दुर्गम पर्वतों की चित्रात्मक झलकियाँ और पर्वतों की दार्शनिक व्याख्याएं मिलती हैं। हर कमरे, हर गलियारे में एक अलग अहसास, एक नया दृष्टिकोण मिलता है।

दिवंगत वास्तुकार जाहा हदीद ने इस म्यूजियम को ऐसे डिज़ाइन किया है कि यह न केवल अपने वातावरण में घुल जाता है, बल्कि उसे समृद्ध भी करता है। कंक्रीट, कांच और लोहे से बनी इसकी तरल-सी दिखने वाली आकृति एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। यह इमारत बाहरी रूप से जितनी कम दिखाई देती है, भीतर उतनी ही गहराई और विस्तार लिए हुए है।



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