महाराष्ट्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला - इस्लामपुर बना “ईश्वरपुर”

Jitendra Kumar Sinha
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महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सांगली जिले के प्रसिद्ध नगर इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर रखने की घोषणा कर दी। यह घोषणा राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र के अंतिम दिन की गई और यह फैसला वर्षों से उठ रही जनभावनाओं और मांगों का सम्मान करते हुए लिया गया है।

इस्लामपुर का नाम बदलने की मांग कोई नई नहीं थी। कई सामाजिक एव सांस्कृतिक संगठनों द्वारा वर्षों से यह मांग उठाई जाती रही है कि इस ऐतिहासिक नगर को उसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल से जोड़ा जाए। लोगों का कहना था कि "ईश्वरपुर" नाम स्थानीय परंपराओं, मान्यताओं और नगर के ऐतिहासिक संदर्भों के अधिक समीप है।

राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने विधानसभा में घोषणा करते हुए बताया कि यह निर्णय गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। मंत्री ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं का सम्मान करती है और यह निर्णय उसी दिशा में एक कदम है। इस फैसले की जानकारी जैसे ही सार्वजनिक हुई, क्षेत्र में उत्सव का माहौल बन गया।

इस्लामपुर, जो अब ईश्वरपुर कहलाएगा, एक ऐतिहासिक नगर रहा है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां प्राचीन काल में कई धार्मिक अनुष्ठान और सत्संग हुआ करता था। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में पहले कई मंदिर और संतों की तपोभूमि हुआ करता था, जो अब भी जनमानस में जीवित है। ईश्वरपुर नाम से इस नगर को पहचान देना न केवल सांस्कृतिक पुनरुत्थान है, बल्कि यह एक नई पहचान, नई सोच और नई दिशा को भी दर्शाता है।

इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ विपक्षी दलों ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह फैसला "धार्मिक ध्रुवीकरण" की नीति का हिस्सा हो सकता है, वहीं सत्तारूढ़ पक्ष ने इसे "जनभावना का सम्मान और ऐतिहासिक न्याय" करार दिया है।

इस्लामपुर से ईश्वरपुर बनने की खबर से स्थानीय लोगों में उल्लास का माहौल है। जगह-जगह मिठाइयाँ बांटी गईं और सोशल मीडिया पर #ईश्वरपुर_मुबारक ट्रेंड करने लगा। युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब नगर को उसकी सही पहचान मिल गई है।

इस्लामपुर का ईश्वरपुर बनना केवल नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुनरुत्थान, ऐतिहासिक सम्मान और जनभावनाओं की जीत है। यह निर्णय आने वाले समय में महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी ही मांगों को जन्म दे सकता है, लेकिन वर्तमान में यह फैसला सांगली जिले के निवासियों के लिए गर्व और हर्ष का विषय बन चुका है।



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