मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के प्रकाशचंद्र सेठी सिविल अस्पताल में शुक्रवार को एक दुर्लभ और सुखद घटना देखने को मिली। रीता (पति नंद किशोर) नामक महिला ने एक असाधारण वजन वाले शिशु को जन्म दिया। यह नवजात शिशु 5 किलो 430 ग्राम का है, जो सामान्यतः बच्चों के वजन से कहीं अधिक है। डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, यह राज्य में जन्मे अब तक के सबसे भारी बच्चों में से एक हो सकता है।
आमतौर पर नवजात शिशुओं का वजन 2.5 किलो से 3.7 किलो के बीच होता है, लेकिन इस बच्चे ने इस सामान्य सीमा को पार करते हुए 5 किलो 430 ग्राम का रिकॉर्ड बना दिया। खास बात यह है कि इतनी अधिक वजन के बावजूद, बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी मां रीता भी पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। यह जानकारी अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना वर्मा ने दी।
इस असाधारण प्रसव में डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने विशेष सतर्कता बरती। जन्म के तुरंत बाद नवजात की सभी मेडिकल जांच की गईं, जिसमें उसके सभी अंगों की कार्यप्रणाली सामान्य पाई गई। डॉक्टरों ने बताया कि इतने भारी नवजात के जन्म के दौरान विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि प्रसव के समय कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन सौभाग्यवश ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
अस्पताल प्रबंधन ने इसे गर्व का विषय बताते हुए कहा कि यह घटना प्रदेश के लिए एक रिकॉर्ड बन सकता है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि पिछले कई वर्षों में अस्पताल में इतने वजन वाला बच्चा पैदा नहीं हुआ। उन्होंने इसे मेडिकल इतिहास की एक खास उपलब्धि बताया और पूरी टीम को बधाई दी।
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी अधिक वजन वाले नवजात अक्सर या तो मधुमेह पीड़ित मांओं के होते हैं या फिर अनुवांशिक कारणों से ऐसा होता है। हालांकि रीता की सभी मेडिकल जांच सामान्य रही हैं, जिससे यह मामला और भी अनूठा बन जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे बच्चों में भविष्य में मोटापा या डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है, इसलिए इनके खानपान और विकास पर विशेष निगरानी रखने की सलाह दी जाती है।
नवजात के जन्म से परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। पिता नंद किशोर ने बताया कि यह उनका पहला बच्चा है और जब उन्हें बच्चे के वजन के बारे में बताया गया तो वे चकित रह गए। उन्होंने डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ का आभार व्यक्त किया।
यह चमत्कारिक जन्म न केवल परिवार बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायक और उल्लेखनीय घटना है। विज्ञान और चिकित्सा की प्रगति ने एक बार फिर यह साबित किया है कि समर्पण और सही देखभाल से असंभव भी संभव हो सकता है।
