गणेशोत्सव बना महाराष्ट्र का “राजकीय महोत्सव”

Jitendra Kumar Sinha
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महाराष्ट्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गणेशोत्सव को राज्य महोत्सव घोषित कर दिया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार द्वारा लिया गया इस फैसले को न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान का सम्मान माना जा रहा है, बल्कि यह सामाजिक एकता, राष्ट्रीय चेतना और परंपराओं के पुनर्जागरण का प्रतीक भी बन गया है।

यह घोषणा राज्य विधानसभा में सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने की, जब विधायक हेमंत रसाने ने इस विषय को सदन में उठाया। शेलार ने कहा कि गणेशोत्सव न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का उत्सव है। इस पर्व की शुरुआत 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप देते हुए राष्ट्रवाद, एकता, सामाजिक जागरण और सांस्कृतिक स्वाभिमान से जोड़ा था।

गणेशोत्सव अब केवल घरों तक सीमित नहीं रहा, यह महाराष्ट्र की गली-गली में श्रद्धा और उमंग से मनाया जाता है। लोकमान्य तिलक ने जब इसे सार्वजनिक रूप दिया था, तब उनका उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ जनजागरण और सांस्कृतिक एकता पैदा करना था। आज वही भावना फिर से जीवित हो रहा है। 

सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने बताया कि गणेशोत्सव को रोकने के प्रयास भी किए गए, कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं ताकि पुलिस और प्रशासन इसकी अनुमति न दे। लेकिन महायुति सरकार ने सभी कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं को हटाकर यह सुनिश्चित किया कि यह उत्सव पूरे राज्य में भव्य रूप से मनाया जा सके।

सरकार के अनुसार, गणेशोत्सव केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत और पहचान का जीवंत प्रतीक है। इसे राजकीय महोत्सव घोषित कर सरकार ने महाराष्ट्र की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने का संकल्प दोहराया है। इस निर्णय के बाद अब गणेशोत्सव को सरकारी स्तर पर समर्थन, संरक्षण और प्रचार मिलेगा।

इस वर्ष गणेश चतुर्थी का उत्सव बुधवार, 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त सुबह 11:06 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक रहेगा। दस दिवसीय इस उत्सव का गणपति विसर्जन शनिवार 6 सितंबर 2025 को होगा।

गणेशोत्सव को राजकीय मान्यता मिलने से यह पर्व अब महाराष्ट्र की पहचान का हिस्सा बन चुका है। यह निर्णय न केवल सांस्कृतिक धरोहर के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि राज्य की सामाजिक एकजुटता और आत्मगौरव का उत्सव भी है। महाराष्ट्र अब ‘गणपति बाप्पा मोरया’ के जयघोष के साथ संस्कृति, परंपरा और नवचेतना की राह पर आगे बढ़ चला है।



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