मॉनसून की बारिश और सड़कों पर खुला मैनहोल, यह दृश्य अक्सर जानलेवा बन जाता है। खासकर शहरी इलाकों में, जहां लोग व्यस्तता में खुले मैनहोल की चपेट में आ जाते हैं, वहां ऐसी घटनाएं न केवल असुविधा बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है। लेकिन अब पटना नगर निगम ने इस गंभीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। देश में पहली बार ‘मैनहोल एंबुलेंस’ सेवा शुरू की गई है, जो एक अनूठी और अभिनव पहल है।
यह सेवा विशेष रूप से टूटे-फूटे, क्षतिग्रस्त और खुले मैनहोल को तत्काल मरम्मत के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसके लिए नगर निगम ने अपनी पुरानी कबाड़ गाड़ियों को आधुनिक एंबुलेंस के रूप में परिवर्तित किया है। शहर के छह अंचलों के लिए छह विशेष गाड़ियां तैयार की गई हैं। हर गाड़ी में प्री-फैब ढक्कन, आवश्यक उपकरण और एक कुशल मरम्मत दल मौजूद रहेगा।
मैनहोल एंबुलेंस सेवा ऑन डिमांड होगी। नागरिकों को केवल पटना नगर निगम के टोल फ्री नंबर 155304 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करानी होगी। निगम ने शिकायत मिलने के 48 घंटे के भीतर समस्या का समाधान करने का लक्ष्य रखा है। इस सेवा को क्विक रिस्पॉन्स टीम की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जो मॉनसून जैसे आपातकालीन मौसम में त्वरित कार्रवाई करेगी।
मॉनसून के दौरान जब नालियां उफान पर होती हैं और जलजमाव से मैनहोल दिखना बंद हो जाता है, तब यह सेवा नागरिकों की जान बचाने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। किसी भी क्षतिग्रस्त या खुले मैनहोल की सूचना मिलने पर एंबुलेंस मौके पर पहुंचेगी, निरीक्षण करेगी और उसी समय मरम्मत कार्य पूरा करेगी।
यह पहली बार नहीं है जब पटना नगर निगम ने जनता की सुविधा के लिए कुछ नया किया हो। इससे पहले भी निगम ने वेस्ट गाड़ियों का उपयोग कर पिंक टॉयलेट और लू कैफे जैसी पहल की थी, जिसे देशभर में सराहा गया। अब मैनहोल एंबुलेंस सेवा से नगर निगम ने फिर एक बार यह साबित कर दिया है कि पुराने संसाधनों का उपयोग कर भी जनता को नई सुविधाएं दी जा सकती हैं।
पटना की यह पहल न केवल एक नगर निगम की सक्रियता का उदाहरण है, बल्कि यह देश के अन्य शहरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। अगर यह मॉडल सफल होता है तो अन्य शहर भी इस योजना को अपनाकर सड़कों को सुरक्षित और नागरिकों की जान की रक्षा कर सकता हैं।
